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अंतराष्ट्रीय

अमेरिका और जर्मनी ने रूस को चेताया, यूक्रेन को लेकर बढ़ती जा रही है तकरार

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, हम यूक्रेन की सीमा पर रूस के सैन्य जमावड़े की निंदा करते हैं।


अमेरिका और जर्मनी ने कहा है कि यूक्रेन की सीमा के पास रूस के सैन्य जमावड़े ने यूरोपीय सुरक्षा के लिए ‘तत्काल और बड़ी चुनौती पेश की’ है।

  • रूस की तीखी बयानबाजी की हम निंदा करते हैं क्योंकि वह झूठी धारणा फैला रहा है कि यूक्रेन उकसा रहा है: ब्लिंकन
  • ब्लिंकन-बारबॉक की इस बैठक के एक सप्ताह पहले जो बायडेन और व्लादिमीर पुतिन ने फोन पर बातचीत की थी।
  • रूस के खिलाफ कार्रवाई के लिए अमेरिका अंतरराष्ट्रीय सहमति की कोशिश कर रहा है जिसमें जर्मनी का साथ जरूरी है।

वॉशिंगटन: अमेरिका और जर्मनी ने कहा है कि यूक्रेन की सीमा के पास रूस के सैन्य जमावड़े ने यूरोपीय सुरक्षा के लिए ‘तत्काल और बड़ी चुनौती पेश की’ है तथा किसी भी हस्तक्षेप के ‘गंभीर परिणाम’ होंगे। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक ने बुधवार को वॉशिंगटन में बैठक के बाद रूस के मुद्दे पर एक राय जताने की कोशिश की। ब्लिंकन ने कहा, ‘जर्मनी और अमेरिका दोनों यूक्रेन के प्रति रूस की हरकत को यूरोप में शांति और स्थिरता के लिए तत्काल और बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं।’

‘हम रूस के सैन्य जमावड़े की निंदा करते हैं’

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम यूक्रेन की सीमा पर रूस के सैन्य जमावड़े की निंदा करते हैं। रूस की तीखी बयानबाजी की भी हम निंदा करते हैं क्योंकि वह झूठी धारणा फैला रहा है कि यूक्रेन उकसावेबाजी कर रहा है।’ बारबॉक ने ब्लिंकन के बयान से सहमति जताते हुए कहा, ‘हमने संयुक्त रूप से कहा है कि रूस की कार्रवाई और गतिविधियां बिल्कुल स्पष्ट हैं और अगर रूस यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन करेगा तो उसके गंभीर परिणाम होंगे।’ ब्लिंकन-बारबॉक की इस बैठक के एक सप्ताह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोन पर वार्ता की थी।

‘क्या रूस तनाव कम करना चाहता है’

बायडेन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से भी रविवार को बात की थी। ब्लिंकन ने कहा, ‘मूल सवाल यह है कि क्या रूस कूटनीति को लेकर गंभीर है, क्या वह तनाव कम करना चाहता है? देखते हैं अगले कुछ सप्ताह में क्या हालात पैदा होते हैं।’ बायडेन प्रशासन रूस के खिलाफ कार्रवाई के लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है और इसके लिए जर्मनी का साथ जरूरी है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी का साथ मिल जाने से अमेरिका को रूस के खिलाफ कदम उठाने में मदद मिलेगी।

स्रोत: “इंडिया TV”


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