पीजी 4 th सेमेस्टर में रिजल्ट खराब होने से गुस्साए छात्र-छात्राओ ने शनिवार को परीक्षा नियंत्रक का घेराव किया और रिजल्ट सुधार करने की मांग करने लगे।
छात्र छात्राओं का कहना है कि यह खराब रिजल्ट छात्रों की गलती से नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की लापरवाही और त्रुटि की वजह से है।परीक्षा नियंत्रक ने छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए छात्र छात्राओं को आश्वासन दिया कि 1 हफ्ते के अंदर जो त्रुटि या गड़बड़ी हुई है उसकी जांच करके रिजल्ट दोबारा से जारी किए जाएंगे। इस आश्वासन के बाद छात्र छात्राओं में संतुष्टि का भाव है।
आइसा जिलाध्यक्ष प्रिंस राज,जिला सचिव,मयंक यादव,छात्र विशाल चौधरी,अविनाश ठाकुर,बैभव कुमार झा,संदीप कुमार,लूटन कुमार,महर्षि कुमार,सन्नी कुमार सहित दर्जनों छात्र अपनी रिजल्ट की समस्याओं के समाधान के लिए मौजूद थे।
आइसा जिला अध्यक्ष प्रिंस राज ने कहा कि विवि प्रशासन छात्र-छत्राओ के भविष्य के प्रति लापरवाह है जोकि उचित नहीं है और विश्वविद्यालय प्रशासन इस तरीके से छात्र-छात्राओं के करियर से नहीं खेल सकता।
उनका कहना है कि सत्र एक साल लेट चलने की वजह से छात्र-छात्राएं वैसे ही परेशान और मानसिक अवसाद में हैं ऊपर से खराब रिजल्ट उनकी परेशानी को और बढ़ा रहा है जिसकी वजह से छात्र छात्राओं को मानसिक समस्या से जूझना पड़ रहा है।यह समस्या विश्वविद्यालय प्रशासन के ढुलमुल रवैया और उनकी गड़बड़ी के कारण हुई है और इसके बाद विश्वविद्यालय अपनी गलती को छुपाने के लिए छात्र छात्राओं को परेशान कर रहा है जो कि किसी प्रताड़ना से कम नहीं है जिसे कभी बर्दास्त नही किया जाएगा।
आइसा नेता ने विवि प्रशासन से मांग की है कि एक सप्ताह के अंदर अगर छात्र-छात्राओं का रिजल्ट सुधार नही किया गया तो विवि में तालाबंदी किया जाएगा।
आगे उन्होंने विवि प्रशासन से अपील किया है कि आगे आने वाले रिजल्ट में इस तरह की त्रुटि न हो इसके लिए प्रशासन को पूरी तरीके से अलर्ट और मुस्तैद होना चाहिए ताकि परेशानी ना तो छात्रों को हो और ना ही प्रशासन को साथ ही उन्होंने कॉमर्स संकाय के छात्र छात्राओं के रिजल्ट की भी समीक्षा करने की मांग की है और उसमें त्रुटि को सुधार करके रिजल्ट जारी करने की अपील की है।
बताते चलें कि इस तरीके की घटना बिहार की शिक्षा व्यवस्था में कोई नई नहीं है ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी बिहार की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी में से एक है फिर भी इस विश्वविद्यालय में कोई भी कोर्स या कोई भी सत्र समय पर ना तो शुरू होता है और ना ही समाप्त होता है जिसकी वजह से छात्र छात्राओं को बहुत सारी कैरियर संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिजल्ट देर से आने की वजह से कई छात्र आगे की पढ़ाई में समस्या का सामना करना करते हैं तो कई नौकरी के चक्कर में धक्के खाने को मजबूर हैं।
ना तो सरकार और ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन इस ओर ध्यान देता है जिसकी वजह से बिहार की शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है खासकर से ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज के क्षेत्र में। बिहार के छात्रों को हर जगह हेय दृष्टि से देखा जाता है इस छवि को बदलने के लिए सरकार विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र-छात्राएं सब के सामूहिक प्रयास की जरूरत है।
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