CALL NOW 9999807927 & 7737437982
दरभंगाबिहार

बिहार में निवेश करने वालों के साथ बैंक की मनमानी और उनके अवैधानिक कार्यों में प्रशासन का साथ

बिहार में निवेश करने वालों के साथ बैंक की मनमानी और उनके अवैधानिक कार्यों में प्रशासन का साथ

दरभंगा : होटल गंगा रेजीडेंसी के डायरेक्टर बालकृष्ण झा प्रेस वार्ता कर बताए की उत्तर बिहार के दरभंगा में एक नए विज़न के साथ , होटल , पी.वी.आर . की स्थापना , वर्ष 2001 से किया था। जिससे प्रेरित होकर आज दरभंगा में ढेरों होटल की स्ताह्पना हो गयी , किन्तु , बदकिस्मती से मैंने सेन्ट्रल बैंक से कुछ ऋण ले लिया जो की उनको लौटा भी रहा था लेकिन किसी सोची समझी साजिश के तहत मुझे आज गत 14 वर्षों से गलत चूक करता बनाकर , सर्फेसी एक्ट जैसे विशेष अधिकार का दुरुप्याग करते हुए प्रताड़ित किया जा रहा है।
जिसके अंतर्गत सेंट्रल बैंक बेला शाखा ने दिनांक 14.8.2013 को मनमानी करते हुए मिली भगत करके ,औने पौने दामों में सर्फेसी एक्शन के अंतर्गत बिना सांकेतिक कब्ज़ा लिए माधवी होटल्स प्रा. लि. के संपत्तियों जैसे की मकान फर्नीचर एवं मशीनों का दोषपूर्ण सेल नोटिस के तहत नीलाम कर दिया जो की मा.उच्च न्यायालय के क्वैशिंग आदेश दिनांक 14.11.2010एवं 17.11.2011 का घोर अपमान है।
इसकी तस्दीक , नीलामी खरीदार ने भी अपने , दिनांक 11.01.2016 के बैंक के नाम पत्र में किया है। जिसमे उन्होंने स्पष्ट लिखा है की बिना कब्ज़ा लिए होटल की नीलामी कानून अपराध है एवं उनके साथ धोखाधड़ी हुआ है। किन्तु आज तक उनहोंने बैंक के ऊपर धोखाधड़ी का केस करके अपने पैसे वापस नहीं मांगे।इससे यह स्पष्ट है की खरीदार ने यों ही नहीं 15 करोड की संपत्ति 4.58 करोड़ में लिया। उच्च न्यायालय ने दिनांक 21.07.2014 के अपने आदेश में मूल्य को लेकर यह संज्ञान पहले ही लिया है।

Best Competitive Exam App
सभी प्रकार के गवर्नमेंट एग्ज़ाम की तैयारी को सुनिश्चित करने के लिए आज हमारे ऐप को डाउनलोड करें

बैंक द्वारा की गयी उन सभी अवैधानिक क्रियाओं को कमपनी ने रिट सं. सी.डब्लू.जे.सी. 7440 एवं अन्य केसों के समूह के द्वारा मा.उच्च न्यायालय में विरोध दायर किया। जिसके अवलोकन के बाद ,मा.उच्च न्यायालय ने दिनांक 15.09.2014 को उन सभी रिट समूह को सुनवाई के लिए यह कहते हुए स्वीकार कर लिया की सेन्ट्रल बैंक के द्वारा लगाया गया सर्फेसी एक्शन को विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है एवं उसके निराकरण में उन्होंने यह आदेश दिया की रेस्पोंडेंट के अग्रिम सारे एक्शन इन स्वीकृत रिट समूह के फलाफल पर आधारित होगा। जो की आज भी प्रभाव में है। जानकारी के लिए बता दूं की रेस्पोंडेंट में बैंक ऑक्शन पर्चेजर एवं जिला अधिकारी ,दरभंगा है।
जिलाधिकारी ,दरभंगा ने इससे पूर्व 23 .11.2016 को सर्फेसी वाद सं. 166/2013 में ,सेक्शन 14 के अंतर्गत एक आदेश पारित किया जिसमे सारे कारवाई को उक्त केस नं . 7440/2012 एवं अन्य केसों के फलाफल आने तक स्थगित कर दिया था जिसे मा.उच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 23.07.2018 को 7440/2012 एवं अन्य रिट के अंतिम फैसले तक के लिए स्थगित कर दिया ना की निरस्त किया वह आदेश आज भी प्रभाव में है।
उस स्थगित आदेश के होते हुए भी , वर्तमान जिलाधिकारी ने , दिनांक २९ .११.२०२२ को उसी वाद सं. १७७/२०१३ में एक नया आदेश पारित किया , जो की अपने आप में विरोधाभासी है किन्तु जिसमे मात्र सांकेति कब्ज़े में लि गयी जमीन का भौतिक दखल कब्ज़ा दिलाने की बात कही है , वैसे उन्होंने भी अंत में अपने आदेश पर , सी.डब्लू.जे.सी.७४४०/२०१२ एवं अन्य एनालोगस केसों के फलाफल के प्रभावी होने की बात कहते हुए अपने ही आदेश को उक्त केसों के फैसले तक स्थगित कर दिया है.
एकाएक करीब ६ महीने के बाद ,दिनांक ०३.०५.२०२३ को अंचल अधिकारी का एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमे दखल कब्ज़ा लेने के लिए तिथि का निर्धारण दिनांक २७.०५.२०२३ को , करते हुए पुलिस बल की मांग की गए थी .किन्तु यह नहीं दर्शाया गया की किस संपत्ति का भौतिक दखल कब्ज़ा लेना है , जिसका अर्थ था की उनके पास निश्चित केस नं. ७४४० एवं अन्य केसों के फलाफल उपलब्ध होंगे किन्तु मैंने , दिनांक ०४.०५.२०२३ को एवं अनुमंडल अधिकारी ने ,दी. १७.०५.२०२३ को इस विषय में पत्र लिखकर इसकी मांग की , जो की उक्त जिलाधिकारी के आदेश दिनांक २९.११.२०२२ के तामिल के लिए अनिवार्य है .

किन्तु कोई उत्तर नहीं आया ना हीं कोई लोग २७.०५.२०२३ को आये बल्कि एक और पत्र , दिनांक ३१.०५.२०२३ को आया , जिसमे यह उल्लेख था की २७.०५.२०२३ को पुलिस बल उपलब्ध नहीं हुआ इसलिए अगला तिथि १५.०६ २०२३ को निर्धारित किया है एवं उसी दिन पुलिस बल मांगा गया . इससे यह स्पष्ट है की बैंक की मनमानी को , , प्रशाशन की सहयता मिल रही है , जो की पूर्णतः अवैधानिक है .इससे यह प्रतीत होता है की किसी व्यक्ति विशेष के हित के लिए कानून व्यवस्था एवं न्यायालयों के विभिन्न आदेशों की अवहेलना करते हुए मौखिक आदेश के द्वारा , जो चाहें वह किया जा रहा है , अन्यथा इस से सलग्न सभी अधिकारियों को ,इस आदेश के तामिल के लिए, केस नं. ७४४०/२०१२ एवं अन्य केसों का अंतिम आदेश दिखाना होगा , जिसके तहत उनकी कार्रवाई को उचित ठहराया जायेगा .
कुछ बिन्दुओं पर संदेहास्पद स्थिति बनी हुई है , जैसे की:-
१. जिलाधिकारी के आदेश की तामील के लिए , केस नं. ७४४० एवं अन्य केस समूह के अंतिम आदेश कहाँ है , जिसमें , कम्पनी हार गयी हो ?
२. अंचल अधिकारी के पत्र दिनांक ३०.०४.23 एवं ३१.०५.23 में यह स्पष्ट क्यों नहीं किया जा रहा है की किन संपत्तियों पर भौतिक दखल कब्ज़ा लेने के लिए पुलिस बल की मांग की गयी है.
३. कहीं एस तो नहीं की पुलिस बल की आड़ में गुंडों को होटल में प्रवेश कराने की साजिश चल रही है और उस संपत्ति पर जबरदस्ती कब्ज़ा करने की तैयारी हो रही है जो की क़ानून बैंक का नहीं है .ना ही बिक सकती है और ना ही इस आदेश में होटल अथवा उसकी संपत्तियों का दखल कब्ज़ा लेने की बात कही गई है।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button