देर से ही सही पीड़ित को मिला न्याय, हत्या के जुर्म में 7 महिलाओं को आजीवन सश्रम कारावास
दरभंगा। एक कहावत है इंसाफ मिलता तो है लेकिन देर ही क्यो न हो? आज दरभंगा व्यवहार न्यायालय के नवम एडीजे संजीव कुमार सिंह की अदालत ने दस वर्षीय अबोध बालिका की निर्मम हत्या की जुर्म में सात महिलाओं को आजीवन सश्रम कारावास तथा 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
प्राथमिकी में सूचक ने अंकित किया है कि मेरी बेटी राजवंती 12 सितंबर 2009 को 12 बजे दिन में मेरे और मेरे भाई के लिए दरबाजे पर खाना पहुंचाने जा रही थी कि उपरोक्त अभियुक्तों ने उसकी पुत्री राजवंती को रास्ते में घेर कर लात-मुक्का एवं ठोस बस्तु से मारपीट कर बेहोश कर दिया।
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जिसे बेहोशी अवस्था में हॉस्पिटल लाई गई। पीएचसी हायाघाट में ईलाज के बाद बच्ची को घर ले आया। अचानक सुबह में उसकी हालत बिगड़ने पर पुन: पीएचसी ले गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
कोर्ट में इस मुकदमा का संचालन सत्र वाद संख्या 436/10 के तहत विचारण प्रारंभ हुआ। सभी हत्या अभियुक्त महिला होने को देखते हुए अभियोजन पक्ष का संचालन का दायित्व महिला अपर लोक अभियोजक रेणु झा को सौंपा गया।
अभियोजन पक्ष का सफल संचालन करते हुए एपीपी रेणु झा ने हत्या अभियुक्त के विरुद्ध मुकदमा साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष से दस गवाहों कि गवाही कराई। वहीं बचाव पक्ष ने इस मामले में 9 गवाहों की गवाही कराया। परंतु हत्याभियुक्तों को बचाव पक्ष नहीं बचा पाया।
अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं तर्क पूर्ण बहस पश्चात अदालत ने दस वर्षीय अबोध बच्ची की निर्मम तरीके से हत्या मामले में छतौना गांव के बुच्ची देवी, मुनर देवी, मलभोगिया देवी, सीता देवी, इन्दु देवी, चधुरन देवी, भुखली देवी को दफा 302/149 (हत्या) में आजीवन सश्रम कारावास की सजा तथा दस-दस हजार रुपये अर्थदंड चुकाने की सजा सुनाई है।
वहीं दफा 147 भादवि में सभी को एक वर्ष की सजा सुनाई है। अर्थदंड नही चुकाने पर एक बर्ष अतिरिक्त कारावास का प्रावधान किया गया है। अभियुक्तों की सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।
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