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दरभंगाबिहार

भारत के आजादी के 75वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर,”आजादी के अमृत महोत्सव” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है।

भारत के आजादी के 75वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर,”आजादी के अमृत महोत्सव” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है।


दरभंगा। भारत के आजादी के 75वीं वर्षगांठ के सुअवसर पर, “आजादी के अमृत महोत्सव” को पूरे भारतवर्ष में मनाया जा रहा है।इसी क्रम में भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अपना जीवन समर्पित करने वाले मिथिला के विस्मृत योद्धाओं को प्रकाशित करने हेतु “मिथिला परिक्षेत्र के विस्मृत स्वतंत्रता ‌सेनानी” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।

भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् ,नई दिल्ली (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा सम्पोषित एवं आयोजक -इतिहास विभाग,एम के एस कौलेज, त्रिमुहान-चंदौना, दरभंगा, बिहार (अंगीभूत इकाई ल•न•मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार )के द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि प्रो राजवर्द्धन आजाद, चेयरमैन, बिहार राज्य विश्वविद्यालय, सेवा आयोग,

उद्घाटनकर्ता प्रो सूरेंद्र कुमार प्रताप सिंह,कुलपति, ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा, मुख्य वक्त, डा. बालमुकुंद पांडेय जी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री,अध्यक्षता प्रो. डॉली सिन्हा, प्रति कुलपति ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा,सह मुख्य अतिथि,डॉ अनिल सुलभ, अध्यक्ष बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना, स्वागताध्यक्ष प्रधानाचार्य, डा फूलो पासवान, प्रो. नैय्यर आजम,विभागाध्यक्ष पी. जी. इतिहास,ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा, प्रो.राजीव रंजन, मेंबर आइ सी एच आर,नई दिल्ली ,मंच संचालन, डॉ बबिता कुमारी, कार्यक्रम समन्वयक, सह इतिहास विभागाध्यक्ष, धन्यवाद ज्ञापन डा ममता पाण्डेय, संस्कृत विभागाध्यक्ष ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर, पंडित द्वय द्वारा मंगलाचरण के साथ किया गया. कुलपति ने इस कार्यक्रम की प्रशंसा की और बार बार इस तरह के कार्यक्रम होने चाहिए। मुख्य अतिथि प्रो राजवर्द्धन आजाद जी ने कहा कि विश्वविद्यालय को भी इस तरह के सेमिनार हेतु वित्त प्रदान करना चाहिए।

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उनके पिता श्री भागवत झा आजाद एक स्वतंत्रता सेनानी थे और बिहार के माननीय पूर्व मुख्यमंत्री भी थे। उन्होने उनके स्वतंत्रता आंदोलन के संस्मरणो को बताया. डॉ बालमुकुंद पांडेय जी ने इतिहास को फिर से लिखने की बात कही तथा ये भी कहा कि हमें स्व जागरण लाना होगा, जूनून अपने अंदर पैदा करना होगा, तभी हमारा उद्देश्य प्राप्त होगा।

डा अनिल सुलभ ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव ने हमें अपने इतिहास को खंगाल ने का अवसर प्रदान किया है. प्रति कुलपति ने कहा कि इतिहास का लेखन और अध्ययन में वैज्ञानिक तरीके के उपयोग किया जाना चाहिए। आइ सी एच आर के मेंबर प्रो राजीव रंजन ने कहा कि हम इस क्षेत्र में और कार्य करने की जरूरत है.प्रो नैयर आजम, विभागाध्यक्ष,पी. जी. इतिहास,ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा ने कहा कि हम अपने शोधकर्ताओं को इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु प्रेरित की करेंगे।

डॉ बबिता कुमारी ने विषय प्रवेश में कहा कि विस्मृत स्वतंत्रता सेनानीयों को उनका इतिहास में स्थान दिलाने का प्रयास है यह संगोष्ठी।

इस अवसर पर स्मारिका मिथिलायन का विमोचन किया गया। लगभग 300 की संख्या में विद्वजन उपस्थिति थी। भोजनावकाश के बाद दो तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ। जिसमें दो दर्जन शिक्षकों/ शोधकर्ताओं ने अपने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया। शिक्षकों/ शोधकर्ताओं से प्रश्नोतर भी किया गया।

अगले दिन 31 मार्च को पुनः तीन तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ.जिसमें 52 शोध-पत्रो का वाचन सह प्रश्नोंत्तर विषय विशेषज्ञों/विमर्श कर्ताओं के द्वारा किया गया.इसमें अध्यक्ष, विमर्शकर्ता, बीज वक्तव्य निम्नांकित विद्वानों ने प्रो अजीत कुमार, विभागाध्यक्ष, बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, प्रो प्रभाषचंद्र मिश्रा ,पी. जी. इतिहास,ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा,प्रो अयोध्या नाथ झा, प्राचीन इतिहास विभाग पी. जी. ,ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा, प्रो धर्मेन्द्र कुंवर, पी. जी. इतिहास,ल. ना. मि. वि. वि., दरभंगा सह सचिव मिथिला इतिहास संस्थान, प्रो रामशरण अग्रवाल, इतिहासकार एवं पुरातत्वविद्, प्रो विनोद कुमार पाण्डेय, संस्कृत विभाग, डी.ए. वी. कालेज , कानपुर, उत्तर प्रदेश ,प्रो उमेश कुमार,बी.एम.ए. कालेज, बहेरी दरभंगा एवं सैकड़ों संख्या में शोधार्थी /विद्यार्थी उपस्थित थे. समापन समारोह की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डा. फूलो पासवान जी ने किया।

उन्होंने इस आयोजन हेतु कार्यक्रम समन्वयक सह इतिहास विभागाध्यक्ष डा बबिता कुमारी को धन्यवाद और बधाई दिया। डा .ममता पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. उन्होंने कहा कि विस्मृत स्वतंत्रता सेनानीयों को स्मरण करना हमारा कर्म भी है और हमारा धर्म भी इसमें महाविद्यालय के सभी कर्मी साथ ही सैकड़ों की संख्या में शोधार्थी उपस्थित थे।


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