बिहार की ‘वैशाली’ ने बनाई पूरे देश में अनूठी पहचान, केले के फाइबर से बनाए कपड़े और रस्सी

बिहार की ‘वैशाली’ ने बनाई पूरे देश में अनूठी पहचान, केले के फाइबर से बनाए कपड़े और रस्सी |
आम के आम गुठली के दाम’ एक कहावत काफी प्रचलित है, लेकिन हकीकत में बिहार के वैशाली जिले में इस कहावत को एक उद्यमी महिला चरितार्थ भी करती नजर आ रही है. केले के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हाजीपुर की वैशाली प्रिया केला के पेड़ के वेस्ट तने से फाइबर निकाल कर न केवल कपड़ा बुन रही है।
Patna: ‘आम के आम गुठली के दाम’ एक कहावत काफी प्रचलित है, लेकिन हकीकत में बिहार के वैशाली जिले में इस कहावत को एक उद्यमी महिला चरितार्थ भी करती नजर आ रही है ।
केले के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हाजीपुर की वैशाली प्रिया केला के पेड़ के वेस्ट तने से फाइबर निकाल कर न केवल कपड़ा बुन रही है बल्कि इसी फाइबर से रस्सी (रेशा) बनाकर उसका टेबल मैट, योगा मैट, बास्केट भी बना रही है.
इतना ही नहीं वो अन्य महिलाओं को इस कार्य का प्रशिक्षण देकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बनने का पाठ पढ़ा रही है. वैशाली इन उत्पादों को अमेरिका तक भी भेज रही है.

आम तौर पर केले के पेड़ से केला काट लेने के बाद उसके तने को काटकर हटा दिया जाता है, लेकिन अब कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से इस तने से फाइबर निकालकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. हाजीपुर के रहने वाली 34 वर्षीय वैशाली दिल्ली में एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करती थी.
फैशन डिजायनिंग की पढ़ाई कर चुकी वैशाली को इसी दौरान पता चला कि केले के फाइबर से कपड़े सहित अन्य उपयोगी वस्तुएं भी बनाए जा सकती हैं. उसके बाद वो इस नौकरी को छोड़कर अपने गांव आ गई और उन्होंने इस क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया.
Bihar News | बिहार की ‘वैशाली’ ने बनाई पूरे देश में अनूठी पहचान
बात करते हुए वैशाली कहती है कि बचपन से इस छोटे से गांव हरिहरपुर में केले की खेती करते हुए लोगों को देखा था. यहां केले के तने को फेंक दिया जाता था. अब इसी तने से कपड़ा बनाया जा रहा है.
वैशाली ने इस काम की शुरूआत के लिए केले की खेती के लिए प्रसिद्ध गांव हरिहरपुर की 30 महिलाओं के साथ शुरूआत की थी.
वैशाली कहती हैं, 2020 में जब इस काम की शुरूआत की थी तब उन्हें काफी दिक्कत हुई. कई लोगों के कटाक्ष भी झेलने पड़े लेकिन आज इस काम में होने वाले मुनाफे को देख कर और लोग भी जुड़ते जा रहे हैं. यहां महिलाओं को कपड़ा बनाने से जुड़ी कई बारीकियां जैसे कपड़े को भिगोना, बुनना और उसकी प्रोसेसिंग आदि सीख रही है.
फाइबर से पहले रस्सी बनाई जाती है, जिसका उपयोग सामान बनाने में किया जाता है.
वे कहती हैं कि महिलाएं घर में ही फाइबर के जरिए रस्सी बनाती हैं और प्रतिदिन 300 से 500 रुपये तक कमा रही हैं. वे फर्क से बताती हैं कि आज कई जगहों से ऑर्डर मिलते हैं.
वे बताती हैं कि केले के फाइबर से बने सामानों को लोग पसंद कर रहे हैं. हालांकि वे यह भी कह रही है कि अभी इसका प्रचलन कम है, जिस कारण लोग इसे नहीं जान पाए हैं.
जो लोग जान लेते हैं इसके मुरीद हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि उन्नत कपड़ा बनाने में ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. केले के फाइबर कई अलग-अलग कपड़े बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं.
इन्हें अलग-अलग वजन और मोटाई के आधार पर काम में लाया जाता है. हरिहरपुर के कृषि विज्ञान केंद्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए काम करने वाले लोगों को एक मशीन भी उपलब्ध कराई है.
Source-Zee Bihar Jharkhand
For More Updates Visit Our Facebook Page
Also Visit Our Telegram Channel | Follow us on Instagram | Also Visit Our YouTube Channel