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बोचहां में रंग दिखायेगा भूमिहारों का गुस्सा।।


मुज्जफरपुर: बोचहां में रंग दिखायेगा भूमिहारों का गुस्सा।।

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मुज्जफरपुर: अप्रैल के पहले सप्ताह में भाजपा का जहाजी बेड़ा बोचहां में उतर जायेगा.इस बेड़े में भाजपा के कई फायर ब्रांड नेता, मंत्री-विधायक, अलग-अलग जातियों के बड़े नेता शामिल होंगे. दरअसल, बोचहां उपचुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.चुनावी आकाश में भाजपाई जहाज प्रतिकूल बवंडर में फंस गया है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय , प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल और मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद की अग्निपरीक्षा होगी.बिखरते आधार वोट को समेटने और नाराज वोटरों को मनाने के लिए अप्रैल के पहले सप्ताह से बोचहां व मुशहरी प्रखंडों की प्रत्येक पंचायत में एक-एक मंत्री अथवा कद्दावर नेता को उतारा जा रहा है.

नेतृत्व को खतरे का अंदेशा है,लिहाजा राज्य सरकार के मंत्री जीवेश मिश्रा, रामसूरत राय, रामप्रीत पासवान, पार्टी के प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार समेत दर्जनों भाजपा नेता बोचहां की गलियों की खाक छानेंगे.इस उपचुनाव के परिणाम से सरकार बनने या टूटने जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी, इसलिए एनडीए (NDA) के वोटरों का ध्रुवीकरण नहीं हो रहा है.

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संभव है कि चुनाव करीब आने पर कुछ ध्रुवीकरण हो जाये.भाजपा प्रत्याशी एवं प्रदेश महामंत्री बेबी कुमारी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार उनके समर्थन में कोई सहानुभूति लहर नहीं है.बेबी कुमारी विधानसभा के 2015 के चुनाव में बोचहां सीट पर लोजपा टिकट कटने की वजह से वोटरों की सहानुभूति की बदौलत जीत गयी थीं.इस बार सहानुभूति राजद उम्मीदवार अमर पासवान को मिल सकती है.

उनके पिता एवं सीटिंग विधायक मुसाफिर पासवान के निधन के कारण वह सहानुभूति के पात्र हैं.बेबी कुमारी के प्रति सहानुभूति की बजाय नाराजगी है.शेरपुर पंचायत के मनीष तिवारी बताते हैं कि 2015 में उनकी तरह क्षेत्र के दर्जनों लोगों ने अपने सहयोग-संसाधन से बेबी कुमारी की मदद की थी.चुनाव जीतने के बाद उनके जैसे सहयोगियों की अनदेखी की गयी.वास्तविक शक्ति बेबी कुमारी के पति के हाथ में होती है. समर्पित कार्यकर्ताओं और समर्थकों की उपेक्षा की जाती है.भाजपा नेतृत्व ऐसे नाराज वोटरों को मनाने में जुटेगा.

मल्लाह, पासवान व राम वोटरों के मिजाज भांप चुकी भाजपा सबसे अधिक भूमिहार और अतिपिछड़ा समाज पर फोकस कर रही है. इनकी गोलबंदी होने पर ही भाजपा बाजी मारेगी.बोचहां में भूमिहार, मुस्लिम, यादव, सहनी, दलित वोटरों की बहुलता है. मंत्रिमंडल से वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी की बर्खास्तगी के बाद भाजपा को सहनी वोट मिलने की उम्मीद नगण्य है.सहनी वोटर वीआईपी उम्मीदवार गीता देवी की ओर मुखातिब हैं.यह देखना दिलचस्प होगा कि सांसद अजय निषाद स्वजातीय वोटरों को भाजपा के खाते में ट्रांसफर करा पाते हैं या नहीं?इसी तरह दलित वोटर भी भाजपा से दूर जाते दिख रहे हैं.पासवान वोटर राजद उम्मीदवार अमर पासवान की ओर और राम वोटर पूर्व मंत्री रमई राम की पुत्री गीता देवी की ओर जाते दिख रहे हैं.

बोचहां में भाजपा जीतेगी तो इसका श्रेय नित्यानंद राय , संजय जायसवाल और अजय निषाद को मिलेगा,परन्तु नित्यानंद राय व अजय निषाद को पहले अपने स्वजातीय वोटरों को मनाना पड़ेगा,जो फिलहाल काफी मुश्किल नजर आ रहा है.अजय निषाद नाराज मल्लाहों के वोट भाजपा को दिलाते हैं तो यह आठवां आश्चर्य होगा.ऐसा ही आठवां आश्चर्य नित्यानंद राय और रामसूरत राय भी कर सकते हैं!इन दोनों के सामने भाजपा के खाते में यादव वोट डलवाने की चुनौती है.हर मोर्चे पर घाटे की भरपाई के लिए भूमिहार समाज के भाजपा नेताओं पर भारी दबाव है.राज्य भर से भूमिहार भाजपा नेताओं को बुलाया जा रहा है.

प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार ने बताया कि वह रोजाना मुजफ्फरपुर आ रहे हैं और दो-तीन दिनों के बाद मुजफ्फरपुर में कैंप करेंगे. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह मुजफ्फरपुर पहुंच कर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोल गये हैं.कई कारणों से भूमिहार समाज के पूर्व और वर्तमान मुखिया, जिला पार्षद,पंचायत समित सदस्य और वार्ड सदस्य नाराज हैं.

वे वोटरों को बता रहे हैं कि भाजपा की कोर कमेटी में अब ऐसा एक भी भूमिहार नेता नहीं है जो नीति निर्धारण और आगामी चुनावों में प्रत्याशी चयन में निर्णायक भूमिका निभा सकेगा.इनमें से कई खुलेआम राजद (RJD) उम्मीदवार के चुनाव अभियान में शामिल हैं और उनके पाला बदलने की उम्मीद नहीं है.अपनी निष्ठा, सामाजिक छवि की कीमत पर उनके भाजपा की ओर लौटने की उम्मीद कम है.

विधान परिषद के चुनाव में दर्जनों भूमिहार नेता राजद उम्मीदवार शंभू सिंह के पक्ष में अभियान चला रहे हैं.भूमिहार वोटर निर्णायक होंगे और जिधर जायेंगे,उधर जीत होगी.यही वजह है कि सभी दलों के प्रत्याशी भूमिहार ब्राह्मण फ्रंट का समर्थन हासिल करने के लिए प्रयासरत हैं.हर रोज उम्मीदवार एवं दलों के शीर्ष नेता भूमिहार ब्राह्मण फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अजीत कुमार से मिल रहे हैं.

भाजपा के जिन दिग्गज नेताओं में अपनी-अपनी जातियों के वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता नहीं है,वे अपनी जातियों के बजाय भूमिहारों के दरवाजे पर घूमते नजर आयेंगे.पिछले विधानसभा चुनाव का बोचहां उपचुनाव पर व्यापक असर है. पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा के भाषण का विडियो वायरल हो रहा है. उनका आरोप है कि दल के नेताओं ने ही उन्हें हराने की साज़िश रची,जबकि उन्होंने क्षेत्र में सैकड़ों करोड़ की विकास योजनाओं को स्वीकृति दिलायी.

पिछले चुनाव में मुजफ्फरपुर के कांटी, मीनापुर एवं गायघाट समेत पूरे राज्य में जदयू उम्मीदवारों को भाजपा का समर्थन नहीं मिला. जदयू की सीटों की संख्या बहुत कम हो गयी. एनडीए के घटक दलों में गहरी खाई है.यह तो चुनाव परिणाम से स्पष्ट होगा कि नीतीश कुमार एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के समर्थकों ने भाजपा उम्मीदवार की कितनी मदद की. फिलहाल खाई पाटने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य जदयू नेताओं की सभा कराई जा सकती है,लेकिन जदयू नेता अगर भाजपा के भितरघात को भुला देते हैं तो वह भी आश्चर्य होगा.


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