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BR Ambedkar Death Anniversary: पुण्यतिथि पर बाबा साहब को श्रद्धांजली, PM मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू , सोनिया गांधी समेत अन्य नेता आए साथ

BR Ambedkar Death Anniversary: संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था, जबकि उनका निधन छह दिसंबर 1951 को हुआ था.

संविधान निर्माता बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि आज छह दिसंबर को है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति एवं राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने संसद भवन परिसर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

संविधान के शिल्पकार कहे जाने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस ( पुण्यतिथि ) पर बुधवार को संसद भवन परिसर में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

खडगे ने एक्स पर लिखा, हम सबसे पहले और सबसे आखिरी में भारतीय हैं – बाबासाहेब डॉ. बीआर अंबेडकर। बाबासाहेब स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के आजीवन समर्थक थे.

पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ”बाबा साहेब भारतीय संविधान के निर्माता होने के साथ-साथ सामाजिक समरसता के अमर समर्थक थे, जिन्होंने अपना जीवन शोषितों और वंचितों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. आज उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि.

खडगे ने कहा, “उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर हम सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक न्याय के उनके विचारों के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करते हैं. हमें सामूहिक रूप से राष्ट्र के लिए उनके बेहतरीन योगदान – भारत के संविधान को संरक्षित करने का संकल्प लेना चाहिए. अम्बेडकर ने मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जवाहरलाल नेहरू की प्रारंभिक कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में भी कार्य किया.”

दलित पृष्ठभूमि से आने वाले अम्बेडकर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करने में सफल रहे. उन्होंने वंचितों के अधिकारों की वकालत की. 1956 में उनके निधन के बाद से, उनके विचारों का विस्तार हुआ है.

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जातिगत भेदभाव को दूर करने में अहम भूमिका 

देश का संविधान लागू करने में अहम भूमिका निभाने वाले बाबा साहेब को जातिगत भेदभाव की दिशा में काम करने के लिए जाना जाता है। दरअसल उन्होंने खुद भी अपने बचपन में जातिगत भेदभाव को बहुत करीब से देखा और अनुभव किया था। उनके पिता सेना में थे और जब वो रिटायर हो गए तो वह महाराष्ट्र के सतारा में बस गए। यहां जब भीमराव का एडमिशन एक स्कूल में करवाया गया तो उन्हें अछूत जाति कहकर स्कूल के एक कोने में बिठाया जाता था

ऐसे में भीमराव ने ठान लिया कि वह अपनी शिक्षा को जारी रखेंगे और इस कुरीति के लिए लड़ेंगे। भीमराव ने अमेरिका और लंदन में उच्च शिक्षा हासिल की और बैरिस्टर बने। देश जब आजाद हुआ तो पंडित नेहरू के मंत्रिमंडल में भीमराव को कानून मंत्री बनाया गया। इसके बाद भीमराव ने संविधान मामलों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने जीवन में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को न्याय दिलवाने की दिशा में तमाम काम किए। वह समानता के पक्षधर थे।

कैसे हुई मौत?

डॉ भीमराव आंबेडकर को डायबिटीज,  ब्लडप्रेशर, न्यूराइटिस और आर्थराइटिस जैसी बीमारियां थीं। डायबिटीज की वजह से वह काफी कमजोर हो गए थे और गठिया की वजह से वह दर्द से परेशान रहते थे। 6 दिसंबर साल 1956 को दिल्ली स्थित आवास पर नींद के दौरान ही उनकी मौत हो गई थी। मरणोपरांत साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। हर साल 6 दिसंबर को बाबा साहेब की पुण्यतिथि को मनाया जाता है।

डॉ भीमराव आंबेडकर की पुण्यतिथि को पूरे देश में ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

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