CALL NOW 9999807927 & 7737437982
दरभंगापटनाबिहार

आज दिनांक 10/01/2022 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन

आज दिनांक 10/01/2022 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन


दरभंगा। आज दिनांक 10/01/2022 को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन प्रो० राजेन्द्र साह की अध्यक्षता में किया गया।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो० राजेन्द्र साह ने कहा कि हिंदी भारत की आत्मा है|यह आमजन की भाषा है|वस्तुत: हिंदी स्वाभिमान की भाषा है|यह अपनत्व, संवेदना तथा सहनशीलता की भाषा है।

हिंदी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने तथा विश्व- स्तर पर हिंदी साहित्य के व्यापक प्रचार प्रसार के उद्देश्य से१० जनवरी,२००६ से विश्व हिन्दी दिवस मनाया जा रहा है|उन्होंने कहा कि लोग अंग्रेजी पढ़ और बोलकर दूसरों से श्रेष्ठ दीखने की कोशिश करते हैं। यह हमारी सदियों की गुलामी का परिचायक है।

प्रो० राजेंद्र ने आगे कहा कि तमाम पश्चिमी देशों में ज्ञान-विज्ञान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया जबकि हमारे देश में अध्यात्म सर्वोपरि रहा है। भाषा की दृष्टि से विचार करते हुए उन्होंने कहा कि भाषा में कट्टरपन नहीं आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि निश्चितरूप से हिंदी एक महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक भाषा के रूप में समृद्ध हुई है।

विदेशी कम्पनियों ने भारत के व्यापक बाजार को देखते हुए हिंदी को अपनाया है। तकनीकी रूप से भी हिंदी समृद्ध हुई है| प्रो० राजेंद्र ने कहा कि हिंदी के प्रति जो झुकाव आज़ादी की लड़ाई के दौरान था,वह कई कारणों से कम होता दीखता है।

वाणी को विराम देते हुए उन्होंने हिंदी के निरन्तर समृद्ध होने की कामना की।

आज दिनांक 10/01/2022 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन

इस अवसर पर हिंदी विभाग के सह प्राचार्य डॉ० सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि आज दमन और नफरत की पराकाष्ठा चरम पर है। हिंदी दिवस को लोग हिन्दू दिवस की तरह मनाने लगे हैं। हिंदी अपनी बोलियों में जीवित है, उसे सत्ता से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हिंदी अपनी जनता की वजह से सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय है।

प्रो० सुमन ने आगे कहा कि हिंदी में जो विविधता है वह भारतीयता का आधार है।

प्रख्यात कवि शमशेर की पंक्तियों से उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदी सिर्फ बाजार की ही भाषा नहीं है,बल्कि जन-जन की भाषा है।

अपनी वाणी को विराम देते हुए उन्होंने कहा कि हमें हिंदी और हिंदवी दोनों को बचाने का प्रयास निरन्तर जारी रखना होगा।

डॉ० आनन्द प्रकाश गुप्ता ने कहा कि 10 जनवरी 1975 को प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत हुई और 2006 से प्रतिवर्ष आज के दिन हम सभी हिंदी प्रेमी विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं।

उन्होंने कहा कि हिंदी सदियों से त्रासदियों से जूझती हुई आगे बढ़ी है और आज वैश्विक फलक पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही है। डॉ० गुप्ता ने विस्तारपूर्वक हिंदी की विकास परम्परा पर प्रकाश डाला।

वरीय शोधप्रज्ञ कृष्णा अनुराग ने कहा कि आज हिंदी वैश्विक दृष्टि से बाजार की भाषा तो बन चुकी है लेकिन विचारणीय बिंदु यह है कि हिंदी नए साहित्यिक आंदोलनों की प्रणेता नहीं बन सकी है।

आज जब हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाई जाने वाली भाषाओं में से एक है तो हमें इस दृष्टि से भी विचार करना होगा कि हमारा साहित्य विश्व साहित्य का मुकुट हो।

उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजियत के शिकार लोग हिंदी भाषियों को हीन दृष्टि से देखते हैं, हिंदीप्रेमियों को पूरी ताकत से इसका प्रतिकार करना चाहिए। इस अवसर पर कनीय शोधप्रज्ञा शिखा सिन्हा ने भी हिंदी की वर्तमान दशा और दिशा पर प्रकाश डाला।


For More Updates Visit Our Facebook Page

Also Visit Our Telegram Channel | Follow us on Instagram

Darbhanga News | Bihar news | Darbhanga | Darbhanga Latest News

Bihar News | Live | Hindi News | Bihar Jharkhand news live

Darbhanga News Updates | Latest News | Darbhanga News Today Live

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button