दलित मुसलमानों को भी दलित हिंदुओं की तरह आरक्षण और सरकारी योजनाएं मिले : अली अनवर
दरभंगा। रविवार को लालबाग स्थित निकट पानी टँकी मोमिन हॉल में आयोजित कार्यक्रम दलित मुस्लिम समाज द्वारा दलितं मुसलमानों का मेला सह पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन हुआ।
दरभंगा। रविवार को लालबाग स्थित निकट पानी टँकी मोमिन हॉल में आयोजित कार्यक्रम दलित मुस्लिम समाज द्वारा दलितं मुसलमानों का मेला सह पुस्तक लोकार्पण समारोह का आयोजन हुआ। जिसमें अंसारी नगीना पुस्तक का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि व पूर्व सांसद अली अनवर ने कहा ये अपने तरह का अनोखा मेला है।
डॉ अयूब राईन की चौथी किताब अंसारी नगीना का विमोचन किया। मौके पर उन्होंने कहा इस तरह की पुस्तकें सामान्यतया नही लिखी जाती हैं पसमांदा समाज अपने अतीत को भूल गया है उन्होंने कहा डॉ अयूब राईन की कोशिश काबिले तारीफ है, उन्होंने ऐसे समूदाय के बारे लिखा है जिस पर किसी ने नही लिखा। जिसे एकेडमिक्स में भी ध्यान नही दिया गया।
अली अनवर ने बत्तख मियाँ अंसारी और पीर मुनीस का हवाला देते हुए कहा हम भी उसी पसमांदा समाज से आते हैं जिन्होंने अंग्रेजों से कभी माफ़ी नही मांगी उन्होंने कहा पसमांदा गांधी को बचाने वाले हैं।
दलित मुस्लिम समाज के संयोजक डॉ अयूब राईन ने कहा एक प्रचलित मान्यता है के मुसलमानों में दलित नही होते हैं जबकी मुसलमानों में वो सारी जतियाँ मौजूद हैं जो हिंदुओं में है लेकिन बहुत अफसोस हो रहा है हिंदुओं की दलित जातियों की तरह मुसलमानों की दलित जातियों को वो आरक्षण व सरकारी की योजनाएं नही मिल रही हैं। इस कारण मुस्लिम की दलित जतियाँ सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत ज़्यादा पिछड़ गयी हैं।
उत्तर प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ फ़ैयाज़ अहमद फ़ैज़ी ने कहा कि लोग समझते हैं कि मुसलमान एक समरूप समाज है जबकि ऐसा नही है मुसलमानों में भी विभिनताएँ है। अलग अलग सामाजिक और सांस्कृतिक परम्पराये हैं।
डॉ फ़ैज़ी ने कहा की मुस्लिम समाज मे सामाजिक सुधार का प्रचलन जायदा नही रहा है जबकि देश के अन्य समुदाय में सामाजिक सुधार की चेतना ज़्यादा विकसित हुई है। यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय अन्य समुदाय की अपेक्षा ज्यादा विकसित नही हो पाई है उन्होंने कहा हिंदुस्तान में मुसलमानों के नाम पर अशराफ समाज की ही तरक्की हुई है जबकी पसमांदा और दलित समुदाय पीछे छूट गए हैं।
शहर के मशहूर वकील अम्बर इमाम हाश्मि ने कहा दलित मुसलमानों के साथ सबसे बड़ा धोखा 1948में हुआ था। जब उन्हें SC वाले आरक्षण से बाहर कर दिया गया था। उन्होंने कहा हमारे बाप दादा ने चीज़ हमारे लिये छोड़ गए उसकी हिफाज़त भी हमें करनी चाहिए। उन्होंने मोमिन हॉल और यतीम खाना के खस्ता हाल स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
अध्यक्षीय भाषण करते हुए शहर के मशहूर वकील मुमताज आलम ने कहा पसमांदा और दलित मुसलमानों को शिक्षा की ओर ध्यान देने की ज़रूरत है।
स्वागत भाषण में कार्यक्रम संयोजक ओसामा हसन ने कहा इस्लाम मे बराबरी और इंसाफ की बात कही गयी है।
मौके पर मिल्लत कॉलेज के सहायक प्रो जमशेद आलम, सेवानिवृत शिक्षक बुचरु पासवान, विद्यानंद राम, अब्दुर्रहमान शेरशाह बादी, मरांग हँसनदा, क़ाज़ी गुलाममुर्तुज़ा इदरीसी और मोहम्मद महमुदुज़ जमा आदि ने अपनी बातें रखीं गई।
मौके पर पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में वायर उर्दू के सहायक एडिटर फ़ैयाज़ अहमद वजीह , शिक्षा के क्षेत्र मे डॉ राणा फरहीन को और खेल के के क्षेत्र में मो जलालुद्दीन अंसारी को अब्दुल गफुर मेमोरियल पुरुस्कार 2021 दिया गया।
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