
दरभंगा में शब-ए-बारात पर लोगों ने मांगी दुआ,शब ए बारात पे बात करते हैं राहत वकील से।
दरभंगा। दरभंगा में शब-ए-बारात पर लोगों ने मांगी दुआ,शब ए बारात पे बात करते हैं राहत वकील से।
शब ए कदर की रात इस मुकद्दस रात के बारे में उलेमाओं का कहना है कि रात भर नमाज पढ़ना, कुरान शरीफ की तिलावत करना,दरूद व सलाम पढ़ना,दिन का रोजा रखना, मजारों का ज़ियारत करना, पैगम्बर हजरत मोहम्मद सलल्लाहो अलैहेवासल्लम ने फरमाया की अल्लाह पाक के हुकुम से फरिश्ते नीचे उतरते हैं।
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अल्लाह के बंदे जो इबादत में मशगूल रहते हैं.उन पर रहमतों की बारिश करते हैं। जिससे उनके गुनाहों की मगफिरत हो जाती है और व पाक साफ हो जाते हैं क्योंकि अल्लाह पाक बड़ी ही रहमत वाले हैं। उक्त बातें दरभंगा व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ वकील एम एच हक राहत ने कही।

आगे राहत वकील ने कहा की इसलिए मुसलमानों को चाहिए कि कसरत से इस रात की इबादत करें और अपनी गुनाहों की माफी खुदा से मांगे। आगे भी किसी भी तरह के गुनाहों से बचें। ये शब-ए-बारात साल में एक बार आता है। कहा यह जाता है कि आज ही के रात दुआ कबुल होती है।
बन्द ए मोमिन जो अपने रब से मांगता है। रब उसे नवाजते हैं.शब-ए-बरात वास्तव में शबे बराअत है. शब पर्शियन भाषा है जिसका अर्थ रात होता है और बराअत अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ मुक्ति होता है। शबे बराअत का अर्थ हुआ मुक्ति वाली रात अथवा छुटकारे की रात।
उन्होंने कहा कि हदीस की किताबों में इस रात का बड़ा महत्व वर्णन हुआ है। पैगम्बर मुहम्मद ने फरमाया यही वह रात है जिस रात को अल्लाह की तरफ से ऐलान होता है कि है कोई माफी चाहने वाला है उसको माफी मिलेगी।
रोजी-रोटी चाहने वाले को उसको रोजी-रोटी दे दूं, कोई परेशान हाल और दुखी इंसान उसके दुख और पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।अल्लाह इस रात को सभी को माफ कर देता है। इस त्योहार के लिये बहुत सारी जगहों पर मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की जाती है।
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