
छात्रों को अधिकाधिक इच्छित विषयों का चयन करने का अवसर दें- प्रति कुलपति
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा की अध्यक्षता में संकायाध्यक्षों, स्नातकोत्तर विभागाध्यक्षों एवं पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक विश्वविद्यालय- सभागार में आयोजित की गई, जिसमें वित्त परामर्शी कैलाश राम, कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद, परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्रा, उप कुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान एवं उप कुलसचिव द्वितीय डा दिव्या रानी हंसदा आदि उपस्थित थे।
प्रति कुलपति ने स्नातकोत्तर सिलेबस में रोजगारपरक उपविषयों को जोड़ने की आवश्यकता बताते हुए विभागाध्यक्षों से कोर कोर्स के साथ इच्छित विषयों के चयन में अधिक जोर देने का आग्रह किया। अपने विषय से इतर छात्रोपयोगी विभिन्न डिप्लोमा कोर्सों के पाठ्यक्रम तैयार कर प्रस्तुत करने का आग्रह किया, ताकि छात्रों की कुशलता बढ़े तथा उन्हें रोजगार युक्त करना भी आसान हो सके। उन्होंने उस वक्तव्य को दोहराया, जिसमें प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा है कि शैक्षणिक संस्थाएं सिर्फ डिग्री ही नहीं, बल्कि कुशलता भी प्रदान करें।

प्रति कुलपति ने सीबीसीएस के तहत स्नातकोत्तर सेमेस्टेर II के SEC कोर्स में स्वच्छता, यौगिक साइंस, मानवीय मूल्य, पर्यावरणीय सतत्ता, सामाजिक न्याय, परफॉर्मिंग आर्ट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक व ग्राफिक डिजाइन आदि को संयोजन करने पर विशेष बल देने का आह्वान किया।
साथ ही विश्वविद्यालय के चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों को इंटर्नशिप करने हेतु राष्ट्रीय शोध संस्थानों, सरकारी एवं गैर- सरकारी संस्थानों आदि से जोड़ने का विभागों को प्रयास करने का आग्रह किया। हम ऐसे चॉइस आधारित कोर्स छात्रों को उपलब्ध कराएं, जिससे उन्हें आसानी से रोजगार मिल सके।
प्रो सिन्हा ने कहा कि सेमेस्टर II के AECC 1 कोर्स के स्वच्छता में बेहतर काम करने वाले छात्रों को राष्ट्रीय मिशन के तहत सरकार वरीयता देते हुए रोजगार प्रदान करती है। उन्होंने मशरूम कल्चर, मिथिला पेंटिंग, मखाना खेती व मत्स्य पालन आदि रोजगार परक कोर्सों पर बल दिया।
प्रति कुलपति ने कहा कि परिवर्तन ही जीवन है और परिवर्तन सभी के लिए जरूरी एवं लाभदायक है। सभी विभागाध्यक्ष से स्नातकोत्तर सत्र 2021-23 के लिए नये सिलेबस बनाकर स्वीकृत कराने की बात कहते हुए कहा कि इनसे विश्वविद्यालय के आगामी नैक कराने में भी काफी लाभ होगा तथा हम समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दे सकते हैं। साथ ही डिप्लोमा कोर्सों के पाठ्यक्रम तैयार कर प्रस्तुत करने का आग्रह किया।
सत्र 2018 से CBCS अंतर्गत चल रहे पाठ्यक्रम में भी आंशिक संशोधन की आवश्यकता है। इस क्रम मे NEP 2020 को लागू करने पर भी चर्चायें हुई। इसके तहत पठन- पाठन की LOCF( Learning Outcome based Curriculum Framework) पर भी चर्चायें हुई। सभी विषयों के सभी पत्रों के सिलेबस को एल ओ सी एफ फ्रेम मे तैयार करने का आग्रह किया।
बैठक में विश्वविद्यालय रसायन विभागाध्यक्ष प्रो प्रेम मोहन मिश्र, राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो जितेन्द्र नारायण, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो राजेन्द्र साह, उर्दू विभाग के शिक्षक डॉ मोतिउर रहमान तथा प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभागाध्यक्ष डा उदय नारायण तिवारी आदि ने विभिन्न सुझाव दिए। प्रोफेसर जितेन्द्र नारायण ने सिलेबस में भारतीय संविधान, राष्ट्रीय आंदोलन तथा गांधी दर्शन को को शामिल करने की बात कही।
अपने संबोधन में वित्त पदाधिकारी कैलाश राम ने कहा कि डिग्री सिर्फ छात्रों की बौद्धिक क्षमता को बताता है। आज का युग प्रतिस्पर्धी है, परंतु हर क्षेत्र में संभावनाएं मौजूद हैं।
छात्र अपनी रुचि व क्षमता से अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर बेहतर कर सकते हैं। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए परीक्षा नियंत्रक डॉ आनंद मोहन मिश्रा ने कहा कि हम विशेष रूप से छात्रों को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से जोड़ें।
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