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राष्ट्रीय

द्रौपदी मुर्मू होंगी भारतीय जनता पार्टी एवं गठबंधन की राष्ट्रपति उम्मीदवार अगर वो राष्ट्रपति चुनाव जीतती हैं तो होंगी देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति

बहुत दिनों से कयास और अटकले लगाई जा रही थी कि भारतीय जनता पार्टी एवं गठबंधन के राष्ट्रपति उम्मीदवार का चेहरा कौन होगा एक तरफ जहां कुछ लोग केरल के उपराज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम ले रहे थे तो वही एक खेमा झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के सपोर्ट में थे।

अंततः एनडीए ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बना दिया है। कल प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके नाम पर मुहर लगाकर इसकी पुष्टि कर दी है।

इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने एक तीर से दो निशाने लगाने का प्रयास किया है पहला यह कि अगर द्रौपदी मुर्मू जीत जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी दूसरा नारी सशक्तिकरण की दिशा में भी यह एक मील का पत्थर साबित होगा। यह दोनों ही बातें आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में हो सकते हैं।

उनके जीतने के साथ ही यह आजाद भारत में अपने आप में एक मील का पत्थर साबित होगा क्योंकि आज तक भारत में कोई आदिवासी, और वह भी महिला, सर्वोच्च पद पर आसीन नहीं हुई है।

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अपने कैबिनेट में महिलाओं को बहुत ही महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो देने वाली भारतीय जनता पार्टी ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके एक बहुत बड़ी मिसाल कायम की है जिसको पाटना शायद आने वाले समय में भी किसी पार्टी के लिए मुश्किल होगा इस कदम के साथ भारतीय जनता पार्टी की पैठ उत्तर भारत में और मजबूत होगी। पहले कार्यकाल में एक दलित समाज से आने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाना दूसरे कार्यकाल में आदिवासी समाज से आने वाली महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना आज के परिपेक्ष में अपने आप में एक उपलब्धि है।

यह भारत एवं दुनिया को एक अच्छा संदेश देने वाला कदम भी है।
अगर बात द्रौपदी मुर्मू के उपलब्धि की करें तो द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल भी रही हैं।18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल बनने से पहले वह दो बार उड़ीसा की विधायक रह चुकी थी।

उनके कार्यकाल में उन्हें एक बार राज्य मंत्री का पद भी मिला था। अपने राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे,जनजातियों से जुड़े मामले, शिक्षा आदि मुद्दों पर सरकार के साथ और कई मामलों में सरकार के निर्णय के खिलाफ भी अच्छा काम किया तथा सरकार के मार्गदर्शक की भूमिका में रहीं और वह भी निर्विवाद रूप से।

आमजन से जुड़ी समस्याओं के प्रति वह कितनी गंभीर रही हैं इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2016 में उच्च शिक्षा से जुड़े एक मुद्दे पर उन्होंने खुद लोक अदालत लगाई जिसमें विश्वविद्यालय कर्मचारी एवं शिक्षकों से जुड़े लगभग 5000 मामलों को निपटाया गया।

इसके अलावा भी वह जिस भी पद पर आसीन रहीं उस हर पद पर उनका कार्यकाल निर्विवाद रहा। झारखंड के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद से वह ओडिशा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव मैं रह रही है और समाज के लिए कोई ना कोई कार्य कर रही है।


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