गडकरी ने पुल सौंपकर तारकिशोर को बताया मुख्यमंत्री बिहार, फिसली जुबान या जान बूझकर…
गडकरी ने पुल सौंपकर तारकिशोर को बताया मुख्यमंत्री बिहार, फिसली जुबान या जान बूझकर…
गडकरी ने पुल सौंपकर तारकिशोर को बताया मुख्यमंत्री बिहार, फिसली जुबान या जान बूझकर…
पटना से उत्तर प्रदेश का सफर आसान और आरामदायक बनाने वाला कोईलवर पुल आम लोगों के लिए खोल दिया गया। इसका उद्घाटन केंद्रीय परिवहन और सड़क निर्माण मंत्री नितिन गडकरी ने किया।
इस पुल को बिहार की जनता के लिए खोल दिया गया है।
मगर बिहार में दो राजनीतिक पार्टियों के रिश्ते के पुल में दरार महसूस की जा रही है।
माना जा रहा है शायद इसी की वजह से केंद्रीय मंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का नाम ले लिया।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पुल का उद्घाटन वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए किया लेकिन अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह तारकिशोर प्रसाद का नाम ले लिया।
यह गलती से हुई गलती है या जान बूझकर दिया गया संदेश ये तो वक्त बताएगा, लेकिन इन दिनों एनडीए गठबंधन के दोनों घटक दलों के बीच तालमेल कुछ ठीक तो नजर नहीं आ रहा है।
उद्घाटन के पहले आरा से पटना तक लगे पोस्टर में नीतीश कुमार की तस्वीर न होने पर पहले ही सवाल उठ रहा था। फिर उद्घाटन समारोह के दौरान नीतीश कुमार को आमंत्रण न भेजने पर सवाल उठे।
इसके बाद अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जगह उप-मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का नाम लिए जाने पर बिहार की राजनीतिक फिजा में चर्चा शुरू हो गई।
हालांकि जेडीयू ने पटना से आरा तक तक लगे पोस्टर में नीतीश कुमार को समारोह का आमंत्रण न दिए पर तो सफाई दे दी है, लेकिन आरजेडी के नेताओं को निमंत्रण भेजने और उन्हें शामिल करने पर जेडीयू और बीजेपी दोनों की ओर से इस पर प्रतिक्रिया आनी बाकी है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कोई आम नेता तो हैं नहीं और न ही इतने हल्के नेता जिनकी जुबान फिसल जाए और वो बिना माफी मांगे आगे बढ़ जाएं।
दरअसल, ये चुनावी भाषण नहीं था और नितिन गडकरी तमाम नेताओं का अभिवादन कर रहे थे। खास बात ये है कि उन्होंने तारकिशोर प्रसाद का नाम लेने के बाद इस भूल को सुधारा भी नहीं। गडकरी ने अपना भाषण दिया, लेकिन इस भूल का सुधार नहीं किया। माना जा रहा है ये गलती जानबूझकर ही की गई थी।
बिहार में राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ऐसा जानबूझ कर किया गया है।
इसके पीछे की वजह नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की नजदीकियां हैं। राजनीति के जानकार हाले के दिनों घटी पूरी घटना को जोड़कर देख रहे हैं। मुख्यमंत्री का तेजस्वी से लगातार मिलना बीजेपी को पसंद नहीं आ रहा है।
लिहाजा वो अपनी तरफ से नीतीश कुमार को इग्नोर कर रही है। खास बात ये है कि इस समारोह के दौरान आरजेडी के भाई वीरेंद्र को शामिल किया गया। जो यह दिखाता है कि बीजेपी तेजस्वी से मुलाकातों को लेकर नाराज हैं।
बताते चलें कि नाराजगी और चेतावनी बीजेपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर अमरेंद्र प्रताप सिंह ने ये कह कर चेतावनी दे ही दी है कि ‘विपक्ष के इशारों पर बिहार में सरकार नहीं चलेगी।’
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