शास्त्र व विज्ञान सम्मत हैं मिथिला के आचार-व्यवहार एवं पर्व-त्योहार : प्रो. शशिनाथ झा

शास्त्र व विज्ञान सम्मत हैं मिथिला के आचार-व्यवहार एवं पर्व-त्योहार : प्रो. शशिनाथ झा


शास्त्र व विज्ञान सम्मत हैं मिथिला के आचार-व्यवहार एवं पर्व-त्योहार : प्रो. शशिनाथ झा

दरभंगा। शांक दर्शन में विज्ञान को लेकर काफी चर्चा की गई है। देश के कई विद्वानों का मानना हैं कि शांक शब्द से ही साइंस शब्द बना है। शांक दर्शन के विभिन्न तथ्यों पर अनुसंधान करने से कई चीजों का संबंध विज्ञान से मिला है। उक्त बातें गुरुवार को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के नेतृत्व में विज्ञान प्रसार विभाग की ओर से सीएम साइंस कॉलेज में आयोजित विज्ञान सप्ताह के तीसरे दिन ‘मिथिलाक सांस्कृतिक परंपरा में विज्ञान’ विषय पर अपना विचार रखते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने कही।

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प्रो. झा ने कहा कि सिद्ध कला और शास्त्र सब विज्ञान ही है। विज्ञान के बिना शास्त्र और शस्त्र नहीं चल सकते हैं। विज्ञान ने शास्त्र को और अधिक प्रासंगिक बना दिया है। शास्त्र में लिखी हुई बातों को विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है। मिथिला के आचार-व्यवहार व पर्व-त्योहार का संबंध शास्त्र व विज्ञान सम्मत है।

प्रो. झा ने कहा कि शंक से निकला हुआ जल सर्वाधिक शुद्ध होता है। दिव्य भावना जहां रहेगा, वहां पर विज्ञान का जरूर निवास होगा। शास्त्र ने पहले ही सभी वस्तु को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। इसके साथ प्रो. झा ने योग और विज्ञान की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

‘प्राचीन भारत में मौसम विज्ञान’ विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामचंद्र झा ने कहा कि यज्ञ करने से प्राकृतिक संतुलन बना रहता है। इससे प्रदूषण नहीं फैलता है। उन्होंने शास्त्र के विभिन्न उद्धरणों की चर्चा करते कहा कि इस दुनिया में कर्म सबसे प्रधान है।

वेद के अनुसार, प्रत्येक दिन लोगों को पांच प्रकार के यज्ञ करना चाहिए। यज्ञ करने से व्यक्ति की मानसिंक शुद्धि के साथ-साथ पर्यावरण की शुद्धि होती है।

‘वैदिक वाड्मय में विज्ञान’ विषय पर अपना विचार रखते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. देवनारायण झा ने कहा कि भारत की सारी परिकल्पना और विज्ञान वेद पर ही निर्भर है। विश्व का सभी ज्ञान वेद पर ही केंद्रित है। वेद से ही ज्ञान और विज्ञान निकलता है। वेद के बिना भारत की परिकल्पना नहीं का जा सकती है। विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद है। भारत के लोगों द्वारा वेद से दूरी बनाया जाना चिंता जनक है। मनुष्य को जीवन में सर्वांगीण विकास के लिए वेद का अध्ययन करना आवश्यक है। साथ ही कहा कि वेद हैं तो ईश्वर है, ईश्वर हैं तो वेद हैं।

‘आधुनिक भारतीय विज्ञान ओ तकनीक : मीलक पाथर’ विषय पर सेमिनार को संबोधित करते हुए यूजीसी-डीएई-सीएसआर के वैज्ञानिक डॉ. राम जनय चौधरी ने कहा कि लोगों में समझने और अच्छा करने की चाहत ही नये आविष्कार के लिए रास्ता तैयार करता है। आवश्यकताओं की पूर्ति करना ही विज्ञान है। कोरोना वैक्सीन का निर्माण फिलहाल में दुनिया को विज्ञान का सबसे बड़ा उपहार है। डॉ. चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। आज पूरी दुनिया विज्ञान के क्षेत्र में भारत के योगदान की तारीफ कर रही है।

इससे पहले विज्ञान सप्ताह महोत्सव के अध्यक्ष प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने सभी अथितिय़ों का स्वागत और आभार व्यक्त किया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे सत्र में पर्यावरण संतुलन में विज्ञान की भूमिका, विज्ञान और आधुनिक समाज एवं स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई।

इसमें डब्ल्यूआईटी, सीएम साइंस कॉलेज, सीएम कॉलेज, एमएलएसएम कॉलेज, एलसीएस कॉलेज सहित अन्य कॉलेजों एवं विद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में सफल हुए प्रतिभागियों को 28 फरवरी को सम्मानित किया जायेगा। साथ ही स्थानीय कलाकारों की ओर से लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि व जागरूकता फैलाने के लिए विज्ञान लघु नाटिका का मंचन किया गया, जिसका सभी ने जमकर लुफ्त उठाया।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मन्त्रालय के स्वायत्त संस्थान विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित ‘इंडिया साइंस’ चैनल के संपादक मानवर्धन कंठ ने विज्ञान सप्ताह महोत्सव के चौथे दिन के कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को ‘मखाना अनुसंधानक दशा व दिशा’, ‘रक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान’, ‘आधुनिक कृषि तकनीक एवं अनुसंधान’, ‘संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता’ आदि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया जायेगा।

इसके अलावा ‘पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता’ और ‘विज्ञान लघु नाटिका’ का भी आयोजन होगा। विज्ञान सप्ताह के तीसरे दिन के कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्येंद्र कुमार झा और डॉ. नेहा वर्मा ने मिलकर किया। सेमिनार विज्ञान सप्ताह महोत्सव के संयोजक डॉ. सुजीत कुमार चौधरी, डॉ. दिलीप कुमार झा, डॉ. दिनेश प्रसाद साह, डॉ. कुमार मनीष, डॉ. पांशु प्रतीक, डॉ. आरती कुमारी, डॉ. पूजा अग्रहरि, डॉ. निधि झा, डॉ. रश्मि रेखा, डॉ. अभय सिंह और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।


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