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जामिया में BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान.. हिरासत में 3 छात्र, यूनिवर्सिटी के सभी गेट बंद

जामिया में BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान.. हिरासत में 3 छात्र, यूनिवर्सिटी के सभी गेट बंद

नई दिल्ली: दिल्ली के जामिया यूनिवर्सिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बनाई गई BBC की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर माहौल खराब करने को लेकर पुलिस ने तीन छात्रों को हिरासत में लिया है. चीफ प्रॉक्टर की शिकायत पर ये कार्रवाई की गई है. पुलिस के मुताबिक, वाकये को लेकर जामिया यूनिवर्सिटी की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.

हंगामे के बीच जामिया यूनिवर्सिटी के सभी गेट बंद कर दिए गए हैं. छात्रों को उसके अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है.

जामिया के छात्रों ने कहा था कि वो बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डाक्यूमेंट्री दिखाएंगे. लेकिन जामिया विश्वविद्यालय ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया. हालांकि छात्र आज शाम 6 बजे गेट नंबर-8 पर डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर अड़े रहे. यूनिवर्सिटी ने छात्रों को नोटिस जारी किया.

जामिया प्रशासन की तरफ से जारी किए गए नोटिस के बावजूद बुधवार शाम 6 बजे गेट नंबर-8 पर MCRC लॉन में बीबीसी की प्रतिबंधित और विवादित डॉक्यूमेंट्री का आयोजन किया जा रहा था. जामिया विश्वविद्यालय ने इसको लेकर  अनुमति नहीं दी थी.

इसके बाद जामिया में सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है. लॉन में और गेट पर बैठक तथा सभा की अनुमति नहीं दी गई है.  वहीं आयोजकों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गई है.

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2002 के दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर आधारित डॉक्यूमेंट्री पर सरकार ने प्रतिबंध लगाते हुए इसे सोशल मीडिया कंपनियों को हटाने के लिए कहा है. विपक्ष ने इस कदम की आलोचना की है.

पीएम मोदी की सरकार ने डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को ‘प्रोपेगेंडा पीस’ करार दिया है. गुजरात दंगों की जांच में उन्हें किसी भी गलत काम से मुक्त कर दिया गया है. पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने हत्याओं से जुड़े एक मामले में उनकी रिहाई के खिलाफ अपील खारिज कर दी थी.

2002 में गुजरात के गोधरा में तीर्थयात्रियों को ले जा रहे एक ट्रेन के कोच में आग लगा दी गई, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इसके बाद प्रदेश में तीन दिन की हिंसा के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे. आरोप है कि शुरू हुए दंगों को रोकने के लिए सरकार ने जान-बूझकर पर्याप्त उपाय नहीं किए.

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