
किसान सभा ने : विश्वासघात दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा माननीय राष्ट्रपति के नाम प्रेषित किया ज्ञापन
किसान सभा ने
आज अखिल भारतीय किसान सभा के द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के आवाह्न पर राष्ट्रीयव्यापी विश्वासघात दिवस के अवसर पर कामरेड भोगेन्द्र झा चौराहा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूतला दहन किया गया। पूतला दहन से उपरांत जिलाधिकारी के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
पूतला दहनसे पूर्व किसानों ने अजय भवन छात्रावास से मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कामरेड भोगेन्द्र झा चौराहा पहुंचे। पूतला दहन का नेतृत्व किसान सभा के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने किया। वहीं पूतला दहन के उपरांत जिला उपाध्यक्ष विश्वनाथ मिश्र की अध्यक्षता में एक सभा हुई।
जिसको संम्बोधित करते हुए संगठन के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार चौधरी ने कहा कि “संयुक्त किसान मोर्चा” के बैनर तले देश के किसानों ने केंद्र सरकार की किसान विरोधी कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी हासिल करने और अन्य किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक अभूतपूर्व आंदोलन चलाया। इस आंदोलन के चलते तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया गया।
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उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर बकाया छह मुद्दों की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया। उसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र (सचिव/ऐएफडब्लू/2021/मिस/1) लिखा जिसमें उन्होंने कुछ मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिए और आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया।
इस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के बॉर्डर पर लगे मोर्चा और तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर से उठा लेने का निर्णय किया। आपको यह बताते हुए हमें बेहद दुख और रोष हो रहा है कि एक बार फिर देश के किसानों के साथ धोखा हुआ है। भारत सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है। इसलिए पूरे देश के किसानों ने आज 31 जनवरी 2022 को विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला लिया है।
सरकार की कथनी और करनी का अंतर आप स्वयं देख सकते हैं: चिट्ठी में वादा था: “किसान आन्दोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमें तत्काल प्रभाव से वापिस लिये जायेंगे। केस वापिस लेने की सहमति उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार द्वारा प्रदान की गयी है। मौके पर किसान सभा के पूर्व जिला महासचिव नारायण जी झा ने कहा कि भारत सरकार से सम्बन्धित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघशासित क्षेत्रों में आन्दोलनकारियों एवं समर्थकों पर दर्ज किये गये आन्दोलन सम्बन्धित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की सहमति है।”
हकीकत यह है कि केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से आंदोलन के दौरान बनाए गए केस वापिस लेने के आश्वासन पर नाममात्र की भी कोई कार्यवाई नहीं हुई है। किसानों को लगातार इन केसों में समन आ रहे हैं। सिर्फ हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है और केस वापिस लेने के कुछ आदेश जारी किए हैं। लेकिन अब भी यह काम अधूरा है, किसानों को समन आ रहे हैं।
सरकार का वादा था: “भारत सरकार अन्य राज्यों से भी अपील करेगी कि इस किसान आन्दोलन से सम्बन्धित दर्ज मुकदमों को वापिस लेने की कार्यवाही करेगी।”
हकीकत है कि केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गई है। वहीं संगठन के पूर्व जिला अध्यक्ष अहमद अली तमन्ने ने कहा कि
सरकार का वादा था: “आन्दोलन के दौरान शहीद परिवारों को हरियाणा, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सैद्धांतिक सहमति दी है।”
हकीकत है कि शहीद किसान परिवारों को मुआवजा देने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कार्यवाही शुरू नहीं की है। हरियाणा सरकार की तरफ से मुआवजे की राशि और स्वरूप के बारे में भी कोई निर्णय घोषित नहीं हुआ है।
सरकार का वादा था:”MSP पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्वयं और बाद में माननीय कृषि मंत्री जी ने एक कमिटी बनाने की घोषणा की है। कमिटी का एक मैंडेट यह होगा कि देश के किसानों को एमएसपी मिलना कैसे सुनिश्चित किया जाय।”
हकीकत यह है कि इस मुद्दे पर सरकार ने न तो कमेटी के गठन की घोषणा की है, और न ही कमेटी के स्वरूप और उसकी मैंडेट के बारे में कोई जानकारी दी है।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में एसआईटी की रिपोर्ट में षड्यंत्र की बात स्वीकार करने के बावजूद भी इस कांड के प्रमुख षड्यंत्रकारी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बना रहना हर संवैधानिक और राजनैतिक मर्यादा के खिलाफ है। यह तो किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को केसों में फंसाने और गिरफ्तार करने का काम लगातार कर रही है।
यही नहीं, मोर्चा उठाने के बाद से केंद्र सरकार अपने किसान विरोधी एजेंडा पर और आगे बढ़ती जा रही है। ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते से डेयरी किसान के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। जैव विविधता कानून 2002 में संशोधन से किसान की जैविक संपदा को खतरा है।
FSSAI के नए नियम बनाकर GM खाद्य पदार्थों को पिछले दरवाजे से घुसाने की कोशिश हो रही है। FCI के नए गुणवत्ता मानक से फसल की खरीद में कटौती की कोशिश की जा रही है। किसान नेता श्त्रुधन झा ने कहा कि जिला भर में खाद की व्यापक कमी है। सरकार अभिलंब सभी किसानों को उचित दर पर खाद मुहैया कराएं अन्यथा अखिल भारतीय किसान सभा अपने आंदोलन को और उग्र करेगी।
मौके पर मणिकांत झा, रामचंद्र साह, शिव कुमार सिंह, प्रमोद कुमार झा, श्यामा देवी, शरद कुमार सिंह, शंकर यादव, प्रशंनजीत प्रभाकर, रविन्द्र कुमार, मंटू कुमार यादव, मो० राजा, प्रशांत कुमार ठाकुर, रौशन कुमार, किसान युनियन के नेता अभय चौधरी आदि उपस्थित थे।
वहीं संगठन के द्वारा बेनीपूर अनुमंडल कार्यालय के समझ जिला अध्यक्ष रामनरेश राय व बिरौल अनुमंडल कार्यालय के समझ रामचन्द्र सहनी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री का पूतला दहन किया गया।
सादर
राजीव कुमार चौधरी
जिलाध्यक्ष, दरभंगा।
अखिल भारतीय किसान सभा।
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