क्या अदालत देश के संविधान से ऊपर है: नजरे आलम।
धार्मिक आजादी हमारा संवैधानिक अधिकार, हम किसी अदालत के गलत फैसले को नहीं मानते और ना ही हम धार्मिक मामले को अदालत में चैलेंज करेंगे।हम अपने धार्मिक आजादी से कोई समझौता नहीं कर सकते, ये बात तथाकथित सेक्युलर पार्टियाँ और वर्तमान सरकार अच्छी तरह समझ ले।उक्त बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने कही।
आगे नजरे आलम ने कहा की हम अपने धार्मिक संगठनों और उनके ठेकेदारों को बताना चाहते हैं। कि आप धार्मिक मामले को अदालत ले जाने से परहेज करें।
क्योंकि हमारा धार्मिक मामला कोई अदालत हल नहीं कर सकता।हम पूछते हैं कि अपने धार्मिक ठेकेदारों से कि अगर हमें कोई अदालत अजान की तरह नमाज पर प्रतिबंध लगा दे तो हम मान लेंगे।
क्या अदालत देश के संविधान से ऊपर है ?
नहीं ना, तो फिर हम अदालत क्यों जाते हैं अपना धार्मिक मामला लेकर जब्कि हमारे महान लोकतांत्रिक देश का संविधान सभी धर्म को अपने अपने धार्मिक मामले को आजादी के साथ मानने का अधिकार दिए हुआ है।
For More Updates Visit Our Facebook Page
Also Visit Our Telegram Channel | Follow us on Instagram | Also Visit Our YouTube Channel