MP में आज से फिर बढ़ेगी हल्की गर्मी: पूरे नवंबर बहुत ज्यादा ठंड नहीं होगी, पचमढ़ी में पारा 7.4 पर आया
MP में आज से फिर बढ़ेगी हल्की गर्मी : पूरे नवंबर बहुत ज्यादा ठंड नहीं होगी, पचमढ़ी में पारा 7.4 पर आया
मध्य प्रदेश में अभी हल्की ठंडक है, लेकिन इस ठंडक पर ब्रेक लग सकता है। आज से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक्टिव हो गया है। इससे तीन दिन तक तापमान में एक बार फिर हल्की बढ़त आ सकती है। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह के मुताबिक, अच्छी ठंड के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा। असल ठंड की शुरुआत दिसंबर में ही होगी। अभी तापमान इसी तरह कम-ज्यादा होता रहेगा। 18 नवंबर से तापमान में कुछ गिरावट तो होगी, लेकिन बहुत ज्यादा ठंड नहीं रहेगी। सीजन में पहली बार पचमढ़ी में रात का पारा 7.4 डिग्री सेल्सियस तक आ गया।
मध्यप्रदेश में अभी ज्यादा ठंड नहीं है। रात को तापमान में गिरावट होने के कारण सुबह और रात को हल्की ठंडक महसूस हो रही है, लेकिन अगले दो दिन ये ठंड भी नहीं रहेगी। आज से रात का तापमान भी एक से 2 डिग्री तक बढ़ जाएगा। दिन में तापमान ज्यादा बढ़ेगा। मौसम में उतार-चढ़ाव की स्थिति नवंबर के अंत तक बनी रहेगी।
48 घंटे में हिमाचल पर बर्फबारी
तीसरा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक्टिव होने से जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गिलगिट और हिमाचल प्रदेश में हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इसके 48 घंटे बाद मैदानी इलाकों में इसका असर दिखने लगेगा। इस वजह से मध्य प्रदेश में नवंबर के तीसरे हफ्ते से तापमान गिर सकता है।
रात का तापमान 12 तक और दिन का 30 के आसपास रहेगा
मध्यप्रदेश में नवंबर में ज्यादा ठंड के आसार नहीं हैं। मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि नवंबर में मध्यप्रदेश में न्यूनतम यानी रात का पारा 12 डिग्री के आसपास रहेगा। दिन का पारा 30 से कम आ सकता है। शनिवार और रविवार को भी प्रदेश भर में दिन का अधिकतम तापमान 30 से कम रहा।
इस कारण तेजी से गिरा तापमान
अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में मानसून की विदाई हुई। 10 साल में यह तीसरी बार सबसे लेट रवाना हुआ। मानसून के जाते ही मौसम एकदम शुष्क हो गया। हिमालय में बर्फबारी और पाकिस्तान से एक के बाद एक हवाएं (वेस्टर्न डिस्टर्बेन्स) आने के कारण अक्टूबर में ठंड महसूस हुई। इसके बाद ठंड गायब हो गई।
दिन-रात में हल्की गर्मी लगने लगी। बीते 10 दिन से न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से 19 डिग्री तक चला गया था। बीते दो दिन से प्रदेश भर से बादल छट गए हैं। इसके चलते तापमान में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार-शनिवार की रात कई इलाकों में न्यूनतम तापमान 3 से 4 डिग्री तक लुढ़क गया था। शनिवार-रविवार को भी यह 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़का।
48 घंटे में रात का पारा 6 डिग्री से ज्यादा नीचे आया
मध्यप्रदेश में बीते 9 दिन से रात का पारा 15 से ऊपर और दिन में यह 30 से ऊपर चल रहा था। शनिवार को दिन के बाद रात का तापमान भी लुढ़क गया। कहीं-कहीं तो यह 3 से 4 डिग्री तक लुढ़क गया। भोपाल में रात का पारा 13.6 डिग्री तक पहुंच गया। इंदौर में भी पारा 14 डिग्री तक आ गया।
पचमढ़ी में सबसे कम रहा पारा
खूबसूरत वादियों की रानी पचमढ़ी में रविवार-सोमवार रात का पारा 7.4 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। यह प्रदेश में सबसे कम रहा। साल 2018 के बाद पचमढ़ी की नवंबर के दो सप्ताह की सबसे सर्द रात रही। साल 2018 में पारा 13 नवंबर तक 4 डिग्री तक आ गया था। वर्ष 2021 में भी नवंबर के शुरुआती दो सप्ताह में यह 8 डिग्री सेल्सियस सबसे कम रहा था।
इस बार नवंबर सबसे हॉट
मध्यप्रदेश में इस बार नवंबर बीते तीन साल में सबसे गर्म है। दूसरे सप्ताह में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस तक आ पाया है। सिर्फ मंडला और रायसेन में यह सबसे कम अब तक 11 डिग्री सेल्सियस तक आया, लेकिन प्रदेश के अधिकांश इलाके मार्च जैसे सर्द-गर्म हो रहे हैं। इससे पहले साल 2019 में प्रदेश के अधिकांश इलाकों में न्यूनतम तपमान 19 डिग्री सेल्सियस तक रहा था। मध्यप्रदेश में इस बार नवंबर के शुरुआती दो सप्ताह ज्यादा हॉट रही।
इस दौरान कई इलाकों में रात का तापमान 10 के नीचे चले जाते हैं, लेकिन इस बार सबसे कम 11 डिग्री तक आया है। पचमढ़ी में जरूर यह 8 डिग्री तक आया है, लेकिन हिल स्टेशन होने के कारण मौसम विभाग इसे रिकॉर्ड में नहीं लेती है। साल 2019 का नवंबर सबसे गर्म रहा था। इस दौरान न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तक रहे थे। इस साल यह 13 से 15 के बीच बने हुए हैं। साल 2020 और 2021 में यह 11 डिग्री के नीचे रहे थे।
यूरोप ज्यादा ठंडा नहीं हो रहा
वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की उत्पत्ति कम दबाव वाले क्षेत्र भूमध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भागों और अटलांटिक महासागर में होती है। क्योंकि यह अशांत हवाएं भारत में पश्चिम दिशा से प्रवेश करती है, इसलिए इन्हें वेस्टर्न डिस्टर्बेंस कहा जाता है। यह एक महीने में 4 से 5 बार आते हैं। इस बार यूरोप में ज्यादा ठंड नहीं पड़ रही है। इस कारण भारत में ठंड की एंट्री नहीं कर पा रही है।
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