बिहार की शराब नीति और राजनीति: नीतीश सरकार ने पहले खूब पैसा कमाया, फिर महिला वोट बैंक के लिए बैन लगाया
Bihar Hooch Tragedy: बिहार में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 84 पहुंच गया है। सारण में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की आधिकारिक संख्या 38 हो गई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले में बिहार सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। वहीं विपक्षी पार्टियां सदन के भीतर और बाहर सरकार पर लगातार हमला कर रही हैं।
बिहार की शराब नीति
वहीं, जानकारों का कहना है कि शराब नीति पर मुख्यमंत्री के दो अलग-अलग रुख रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अपने राज्य में शराब नीति को उदार बनाया लेकिन व्यापक राजनीतिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान पाठ्यक्रम बदल दिया और यू-टर्न ले लिया। आठ साल में नीतीश कुमार का शराब के प्रति रुख बदल गया।
बिहार सरकार ने इस मामले में तेज कार्रवाई करते हुए कुछ जिले में कई जगह छापेमारी की। पुलिस ने 87 लोगों को गिरफ्तार किया और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम (SIT) गठित की। हालांकि खबरों में सामने आया है कि बेगूसराय में उत्पाद थाने से ही शराब बेची जा रही थी।
दूसरी ओर, आंकड़ों में साफ दिखता है कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने यानी 2016 के बाद से लगातार बुरा हाल है। सबसे खराब स्थिति है कि इस कानून के तहत इतने सालों में दोष साबित होने का दर एक फीसदी से भी कम है। शराबबंदी कानून से जुड़े पेंडिंग केस राज्य में सबसे ज्यादा लंबित मामलों में शुमार है।
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