मां, मैं मरना नहीं चाहता, अभी तो बहुत छोटा हूं:पुतिन के सैनिकों ने 6 साल के यूक्रेनी मासूम के शरीर में उतारी थीं 7 गोलियां

‘दुनिया की सबसे भारी चीज सबसे छोटे ताबूत होते हैं’ ये कहावत रूस-यूक्रेन जंग में सच होते दिख रही है। ‘मां, मैं मरने के लिए बहुत छोटा हूं’ कहने वाला मासूम रूसी सेना की सात गोलियां खाकर मां की गोद में पड़ा था। उस मां की हालत के बारे में सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है, जिसका 6 साल का बेटा मरने से ठीक पहले कहता है कि ‘मैं मरना नहीं चाहता’ और अगले पल ही वह लाश में तब्दील हो जाता है।

मां ने कहा था कि तुम्हें कुछ नहीं होगा, लेकिन उसी की गोद में दम तोड़ा
ये दर्दनाक कहानी यूक्रेन की राजधानी कीव में रहने वाली एना और उसके बेटे की है। रूस हमले में जब कीव को निशाना बनाया जा रहा था। तब एना ने अपनी 13 साल की बेटी अलीना और 6 साल के बेटे मैक्सिम के साथ शहर छोड़ने का फैसला किया। एना के दोनों बच्चे काफी डरे थे। जब वो घर छोड़ने की तैयारी कर रहे थे, 6 साल के मैक्सिम ने अपनी मां को बताया कि उसे डर लग रहा है। उसने एना से कहा-‘माँ, मैं मरना नहीं चाहता। मैं बहुत छोटा हूँ।’ बेटे के मुंह से ऐसी बात सुनकर किसी भी मां का कलेजा भर आए। एना ने अपने बच्चे के डर को कम करते हुए यकीन दिलाया कि जब तक वो है, उसे कुछ नहीं होगा।
लेकिन कुछ ही घंटों में बाद रूसी हमले में मैक्सिम की मौत हो गई। उसने अपनी मां की गोद में ही दम तोड़ा।
‘मैं दुनिया को बताना चाहती हूं कि जंग का मतलब क्या होता है’
वह कहती हैं, ‘जब यह सब शुरू हुआ तो मेरे चचेरे भाई एलेक्ज़ेंडर ने हमें इरपिन में रहने के लिए बुलाया। लेकिन वहां गोलीबारी तेजी हो गई थी। मैक्सिम और अलीना बहुत डर गए थे। फिर हम दोनों परिवारों ने एक साथ शहर छोड़ने का फैसला किया। हमने तय किया कि हम यूक्रेन के पश्चिम में रेवने में रिश्तेदारों के पास जाएंगे। हम सब कार से जा रहे थे। सारे बच्चे कार की पिछली सीट पर थे और मैक्सिम मेरी गोद में। हमने दो यूक्रेनियन मिलिट्री चेकपोस्ट पार कर लिए थे। लेकिन जैसे ही हमारी गाड़ी आगे बढ़ी गोलीबारी शुरू हो गई। एलेक्ज़ेंडर गाड़ी चल रहा था। फायरिंग में उसकी मौत हो गई थी। उसकी पत्नी नताल्या को कम से कम 10 गोली लगी। मुझे कान के पास सिर में गोली लगी। अलीना के दाहिने हाथ और बाएं घुटने में गोली लगी। मैंने जब मैक्सिम को कार से निकाला वो मर चुका था। मैं चिल्लाते-चिल्लाते बेहोश हो गई। उसे पीछे से सात गोली मारी गई थी।
मैक्सिम को आखिरी बार मैंने मुर्दाघर में देखा था
वहां मौजूद लोगों में से किसी ने एम्बुलेंस को फोन किया। पहले कुछ दिनों तक मैंने किसी से बात नहीं की। अपनी बेटी अलीना से भी नहीं। मैंने अपनी घायल बेटी को खुद से दूर धकेल दिया था। मैं नहीं चाहती थी कि वो मुझे कोई भी दिलासा दे। मैं अपने बेटे के लिए चिल्ला रही थी। मुझे मैक्सिम की लाश को कई दिनों तक देखने की अनुमति नहीं थी। मैंने आखिरी बार उसे मुर्दाघर में देखा। उसकी बॉडी की पहचान के लिए मुझे बुलाया गया था। मुझे सर्जरी के लिए लीव के अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया। जब मैक्सिम को दफनाया गया, तब मेरा ट्रीटमेंट चल रहा था।
मेरे बेटे को मेरे पिता की कब्र के बगल में दफनाया गया। जिनका पिछले महीने ही अपने जन्मदिन के दिन निधन हो गया था।
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वो मात्र 6 साल का था, लेकिन अपनी उम्र से कहीं ज्यादा मैच्योर
एना 31 साल की हैं। उनकी पहली शादी से बेटी अलीना हुई। दूसरे रिलेशनशिप से वह मैक्सिम की मां बनीं। वो अपने दोनों बच्चों के साथ कीव एक बेहद छोटे फ्लैट में रहती थीं। पैसों की तंगी थी। घर चल सके इसके लिए वो दो अलग-अलग जगहों पर सफाई का काम करती थीं। शायद ऐसे माहौल में पलने की वजह से मैक्सिम इतनी छोटी उम्र में ही काफी मैच्योर हो गया था। बेटे को याद करते हुए एना कहती हैं- ‘वह सिर्फ छह साल का था, लेकिन एक समझदार इंसान जैसा व्यवहार करता। जब भी पॉसिबल होता वो मेरी मदद कोशिश करता। उसने बर्तन धोए, कमरे की सफाई की, बिना मेरी मदद अपना होमवर्क करता था। वो अभी पहली क्लास में था।’
एना कहती हैं- ‘मेरे बेटे को मेरे पूर्व पति ने दफनाया। मैक्सिम के पिता ने मेरे मैसेज के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।’ वो रोते हुए बार-बार एक ही बात दोहराती हैं, ‘मुझे मैक्सिम को बचाना चाहिए था। उसकी मां होने के नाते उसे बचाना मेरी जिम्मेदारी थी और उसमें मैं असफल रही। मेरे पास जीने के लिए कुछ नहीं बचा है?’
एना ये भी कहती हैं मुझे समझ नहीं आया कि हमें क्यों गोली मारी गई। कार की खिड़कियां पारदर्शी थीं। जिसने भी गोली चलाई वो देख सकता था कि कार में महिला और बच्चे हैं।
2,500 यूक्रेनी बच्चों को किडनैप करके रूस भेज गया
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पर डोनबास के डोनेट्स्क और लुहान्स्क से लगभग 2,500 यूक्रेनी बच्चों को किडनैप करके रूस भेजने का आरोप लगाया गया है। वहीं दूसरी तरफ यूक्रेनी मिलिट्री का दावा है कि रूस के आर्मी के पास सिर्फ तीन दिन की सप्लाई बची है।
बच्चों पर सबसे ज्यादा मुश्किल लेकर आया युद्ध
यूनीसेफ ने दावा किया है कि अब तक 15 लाख यूक्रेनी बच्चे बेघर हुए हैं। यानी हर सेकेंड में 1 बच्चा रिफ्यूजी बनने को मजबूर है। UNICEF के प्रवक्ता जेम्स एल्डर का कहना है कि इन बच्चों की खरीद-फरोख्त हो सकती है। इससे पहले, यूक्रेन ने रविवार को बताया था कि रूस के हमले में अब तक 112 बच्चों की मौत हो चुकी है।
source:bhasker.com
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