
मैथिली भाषा पर सदन में मंत्री द्वारा दिए गए बयान में अगर संशोधन नहीं हुआ तो उग्र आंदोलन होगा: बैद्यनाथ चौधरी बैजू
दरभंगा मैथिली हजारों वर्ष पुरानी भाषा है जिसका अपना बहुत ही प्राचीन साहित्य भंडार उस जमाने का है जिस समय खड़ी बोली या जिसे हम आज हिंदी कहते हैं उसका कहीं नामोनिशान भी नहीं था। मैथिली भाषा एक ऐसी समृद्ध भाषा है जो न सिर्फ प्राचीन है बल्कि राजकीय समर्थन के बिना भी इसके साहित्य भंडार में निरंतर वृद्धि हो रही है।
उक्त बातें विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने दरभंगा के सांसद डा गोपाल जी ठाकुर द्वारा लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए। सवाल का शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा दिए गए अनर्गल जवाब पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह घोर निंदनीय है।
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उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा के संबंध में विस्तृत सूचनाएं एकत्रित कर भारत के महामहिम राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री सहित विभिन्न मंत्रियों एवं मिथिला क्षेत्र के विभिन्न सांसदों को प्रतिवेदन के रूप में भेजा गया है। यदि इस पर त्वरित कार्यवाही नहीं होती है और मंत्री अपने जवाब में संशोधन नहीं करते हैं तो संस्थान मातृभाषा मैथिली की अस्मिता को बचाए रखने के लिए उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगा।
संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डा बुचरू पासवान ने कहा कि भारत और नेपाल में रहने वाले बीस करोड़ से अधिक लोगों की मातृभाषा के बारे में मंत्री द्वारा इस तरह की ओछी टिप्पणी किया जाना बहुत ही निंदनीय है.पीजी मैथिली विभाग के अध्यक्ष डॉ रमेश झा ने कहा कि मैथिली मिथिला के जन जन की भाषा है इसे किसी भी वर्ग-भेद में विभक्त नहीं किया जा सकता। संवाददाता सम्मेलन को प्रो उदय शंकर मिश्र, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, विनोद कुमार झा, आशीष चौधरी आदि ने भी संबोधित किया।
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