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दरभंगाबिहार

विदेशी भाषा संस्थान, पीजी एनएसएस इकाई तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा ‘राष्ट्रनिर्माण में बालिकाओं के योगदान’ विषयक संगोष्ठी आयोजित

विदेशी भाषा संस्थान, पीजी एनएसएस इकाई तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन के द्वारा ‘राष्ट्रनिर्माण में बालिकाओं के योगदान’ विषयक संगोष्ठी आयोजित

राष्ट्रनिर्माण में बालिकाओं की भूमिका’ विषयक संगोष्ठी में 50 से अधिक छात्र-छात्राओं ने की हुई सहभागिता, जिन्हें प्रमाण पत्र दिया गया

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के विदेशी भाषा संस्थान, स्नातकोत्तर एनएसएस इकाई तथा डा प्रभात दास फाउंडेशन, दरभंगा के संयुक्त तत्वावधान में विदेशी भाषा संस्थान के सभागार में ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ की पूर्व संध्या पर “राष्ट्रनिर्माण में बालिकाओं के योगदान” विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

विदेशी भाषा संस्थान के निदेशक और पुनीत आधा की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा, सम्मानित अतिथि के रूप में मानविकी संकाय के डीन प्रोफेसर ए के बच्चन, विशिष्ट अतिथि के रूप में पीजी अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो अरुणिमा सिन्हा, उद्घाटन कर्ता के रूप में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय, विषय प्रवर्तक के रूप में विश्वविद्यालय के प्रेस एवं मीडिया इंचार्ज डा आर एन चौरसिया, एनएसएस समन्वयक डा विनोद बैठा, पीजी की एनएसएस पदाधिकारी डा ज्योति प्रभा, इतिहास विभागाध्यक्ष डा नैयर आजम, फाउंडेशन के सचिव मुकेश कुमार झा तथा सक्रिय कार्यकर्ता राजकुमार गणेशन, अंग्रेजी के शिक्षक का डा संकेत कुमार झा, प्रशांत कुमार झा एवं संजय कुमार सहित विभिन्न विभागों के 50 से अधिक छात्र-छात्राएं एवं स्वयंसेवक उपस्थित थे।

अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया, जबकि कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ। अतिथियों का स्वागत एनएसएस पदाधिकारी डा ज्योति प्रभा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन एवं संगोष्ठी का सारांश डा संकेत कुमार झा ने प्रस्तुत किया।

अपने संभाषण में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि आज भी बालिकाएं काफी कठिनाइयों के बाद ही जीवन में आगे बढ़ पाती हैं। महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी अपेक्षाएं होती हैं। हमें बालिकाओं एवं महिलाओं के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील होना चाहिए। आज राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा बालिकाओं एवं महिलाओं के लिए कई योजनाएं संचालित हैं, जिनकी जानकारी युवा समाज को देकर पीछे छूटे लोगों को आगे लाना चाहिए। इनमें स्वयंसेवकों एवं एनजीओ का काफी योगदान हो सकता है।

प्रति कुलपति ने कहा कि बालिकाएं अपने स्वास्थ्य एवं पोषण का भी ख्याल रखें। पहले वे शिक्षित एवं आत्मनिर्भर बने। उनके लिए सरकार की ओर से पुस्तक, साइकिल, छात्रवृत्ति तथा प्रोत्साहन राशि आदि प्रदान की जाती हैं। साथ ही साथ बालिकाओं के लिए इंग्लिश स्पीकिंग, कंप्यूटर कोर्स, अकाउंटेंसी, इंस्टॉलेशन व ब्यूटीशियन आदि के प्रशिक्षण एवं रोजगार हेतु ऋण भी दिए जाते हैं, जिनका उन्हें अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।

प्रोफेसर ए के बच्चन ने कहा कि महिलाओं का परिवार में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वहीं शिक्षित महिलाओं की परिवार में दोहरी भूमिका होती है। आज भी परंपरागत परिवारों में महिलाओं के प्रति दोयम दर्जा का व्यवहार होता है, परंतु बदलते समय में महिलाओं की उपस्थिति हर जगह दिखती है जो दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

प्रोफेसर अरुणिमा सिन्हा ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम में भी महिलाओं का सराहनीय योगदान रहा है परंतु व्यवहार में आज भी निम्न एवं मध्यम स्तरीय परिवारों में बालकों एवं बालिकाओं में अंतर किया जाता है। उन्होंने सावित्रीबाई फुले को भारत में प्रथम महिला शिक्षक के रूप में महिला स्कूल खोलने का काम किया था।

प्रो मंजू राय ने कहा कि ईश्वर ने बालिकाओं को कुछ खास उद्देश्य से बनाया है। राष्ट्र निर्माण में अनेक महिलाएं अग्रणी भूमिका निभाई हैं जिनमें किरण बेदी इंदिरा गांधी लक्ष्मीबाई सानिया मिर्जा आदि मील के पत्थर के समान प्रशंसनीय रही हैं। लैंगिक समानता के लिए हमें अपने घर से ही नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देना होगा।

वही मुकेश कुमार झा ने प्रभात दास फाउंडेशन द्वारा महिला उत्थान में किए गए कार्यों का विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि महिलाएं ही सृष्टि निर्माता हैं। आज सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर हमें याद रखना चाहिए कि उनके आजाद हिन्द फौज के एक दल की सेनापति सहगल थी। विभाग के शोधार्थी एवं होली मेरी स्कूल के प्रिंसिपल शिबू ने कहां की बालिकाओं के बल पर नए राष्ट्र निर्माण संभव है।

विषय प्रवेश कराते हुए संस्कृत के प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया ने वैदिक काल से आधुनिक काल तक की प्रमुख महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए बताया कि महिलाओं के सर्वांगीण विकास से ही सुखी एवं खुशहाल समाज तथा समृद्ध एवं शक्तिशाली राष्ट्र का सपना साकार हो सकता है। महिला और पुरुष परिवार रूपी विकास की गाड़ी के दो पहिए हैं, जिनमें संतुलन एवं समान गति आवश्यक है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त किया कि बदलते समय में बालिकाओं की विभिन्न क्षेत्रों में नई भूमिका एवं सफल नेतृत्व से राष्ट्रनिर्माण की गति तीव्र हुई है।

अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व पुनीत आधा ने कहा कि बालिकाओं के विकास से ही राष्ट्र का संपूर्ण विकास होगा शिक्षा से ही बालिकाएं सशक्त होंगे तथा समानता भी आएगा। उन्होंने अपनी ओर से आगत सभी अतिथियों आयोजकों एवं छात्र- छात्राओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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