नवरात्रि के दिनों में क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यहां जानें !
नई दिल्ली: नवरात्रि के दिन मां दुर्गा की कठिन साधना के होते हैं.इस बीच मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है.ये नौ रूप हर तरह की सिद्धि और शक्ति से संपन्न हैं.कहा जाता है कि इन नौ दिनों में यदि माता का कोई भक्त सच्चे मन से उनकी आराधना करती हैं,तो उसके जीवन के हर संकट को माता दूर कर देती हैं.
ऐसे व्यक्ति की मनोकामना जरूर पूरी होती है. यही वजह है कि चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि,माता के भक्त अपनी पूरी श्रद्धा और निष्ठा से मां को प्रसन्न करने के यत्न करते रहते हैं.इस बीच तमाम धार्मिक आयोजन किए जाते हैं, घरों में घटस्थापना और अखंड ज्योति जलाई जाती है.तमाम भक्त नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और जो नहीं रख पाते वो पहले और आखिरी दिन व्रत रखकर अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते हैं.
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इस बार चैत्र नवरात्रि आज से शुरू होने जा रही है.अगर आपकी भी कोई खास कामना है, जिसकी पूर्ति के लिए आप माता से प्रार्थना करना चाहते हैं,तो नवरात्रि के दौरान कुछ नियमों का जरूर ध्यान रखें.यहां जानिए वो काम जो माता को प्रसन्न करते हैं और जिन्हें हर भक्त को नवरात्रि के दौरान जरूर करना चाहिए,साथ ही उन कामों के बारे में भी जानिए जिनसे माता नाराज हो सकती हैं और जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
अगर आप घर पर घट स्थापना करते हैं, तो नियमित रूप से नियमों का पालन करें और नौ दिनों तक माता की पूजा के समय कलश पूजन जरूर करें. इस दौरान घर में ज्वार भी बोएं. इस बीच घर में अखंड दीपक जलाएं जो नवरात्रि के समापन तक लगातार जलता रहे.अगर आप घट स्थापना नहीं भी करते हैं, तो भी अखंड दीपक जरूर जलाएं।
माता रानी को लाल रंग अति प्रिय है.नौ दिनों तक लाल रोली, लाल सिंदूर, लाल पुष्प माता को चढ़ाएं. नवरात्रि के बीच किसी भी दिन माता को लाल चुनरी भी पहनाएं.कहा जाता है कि माता को सोलह शृंगार का सामान चढ़ाने से पति के जीवन के संकटों का अंत होता है. आप नवरात्रि के दौरान किसी दिन मातारानी को लाल रंग की साड़ी या चुनरी पहनाने के साथ सोलह शृंगार का सामान जरूर चढ़ाएं।
नियमित रूप से माता के मंत्रों का जाप करें. इससे आपको उनसे शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होगा. दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. सुबह और शाम को घर में मातारानी की आरती करें.यदि घर में घट स्थापना की है या अखंड दीपक जलाया है तो घर को अकेला छोड़कर कहीं शहर से बाहर न जाएं.
चाहे परिस्थिति कोई भी आ जाए. इसे शुभ नहीं माना जाता.अगर व्रत नहीं भी रखा है, तो भी घर में खानपान सात्विक रखें. मांस, मदिरा या शराब का सेवन न करें. प्याज और लहसुन आदि तामसिक भोजन से भी परहेज करें.इन नौ दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें. किसी की चुगली या बुराई न करें. मन को शुद्ध करने का प्रयास करें.किसी का दिल न दुखाएं.
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