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पटनाबिहार

बिहार कैबिनेट विस्तार में किसकी होगी मन की मुराद पूरी,नीतीश कैबिनेट में RJD-कांग्रेस को कितने मंत्री पद?

पटना। बिहार की नीतीश कुमार के अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार बहुल जल्द होने जा रहा है.महागठबंधन में शामिल सहयोगी दल आरजेडी और कांग्रेस काफी दिनों से कैबिनेट विस्तार का इंतजार कर रही है.23 जून को विपक्षी एकता की मीटिंग के बाद पहले मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार,लालू प्रसाद यादवऔर राहुल गांधी के बीच बैठक के दौरान मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा हुई थी.

वहीं,बेंगलुरु की बैठक के दूसरे दिन ही नीतीश ने लालू यादव से मुलाकात की.इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में बातचीत हुई,जिसके बाद मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज हो गई है.ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के मन की मुराद कितनी पूरी हो पाएगी?नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार में आरजेडी को 2 सीटें मिलनी हैं और कांग्रेस कोटे से किसी एक नेता को मंत्री बनाया जा सकता है.

हालांकि,कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह काफी दिनों से दो मंत्री पद की मांग कर रहे हैं,क्योंकि पिछले साल महागठबंधन की सरकार बनी थी तो कांग्रेस कोटे से दो मंत्री ही बनाए गए थे.कांग्रेस अपने विधायकों की संख्या के आधार पर चार मंत्री पद की मांग कर रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री सिर्फ तीन ही पद दे रहे हैं.इसके चलते ही दो और एक के बीच पेंच फंसा हुआ था.

वहीं,लालू यादव की पार्टी आरजेडी कोटे से दो सीटें खाली हुई हैं. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह के इस्तीफे से और दूसरा अनंत सिंह के करीबी कार्तिक सिंह के इस्तीफे से.मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की वजह यह माना जा रहा था कि आरजेडी में इन 2 सीटों के कई दावेदार हैं.लिहाजा आरजेडी यह तय ही नहीं कर पा रही है कि इन 2 सीटों पर किसे मंत्री बनाए.ऐसे में नीतीश कुमार से जब मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सवाल पूछा गया तब यही कहते रहे कि राजद की तरफ से नाम दिए जाने के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा.

आरजेडी कोटे से दो मंत्री पद बनाए जाने हैं जिसमें एक राजपूत और एक भूमिहार कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है.मंत्री बनने के लिए आरजेडी में इन दोनों ही जातियों के कई नेता कतार में हैं.ऐसे में माना जा रहा है कि भूमिहार कोटे से अनंत सिंह के करीबी कार्तिक सिंह ने इस्तीफा दे दिया था जिसके चलते विधायक पत्नी नीलम देवी को मंत्री बनाया जा सकता है.

इसी तरह सुधाकर सिंह के इस्तीफे से खाली हुई राजपूत कोटे की सीट पर आनंद मोहन के विधायक पुत्र चेतन आनंद को मंत्री मिल सकता है.आनंद मोहन की रिहाई के बहाने पहले राजपूत वोट बैंक को साधने की कोशिश की जा रही है. इसी के मद्देनजर अगली कड़ी में उनके बेटे को मंत्री बनाया जा सकता है.

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रामचरितमानस के चलते सियासी चर्चा में रहे शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का मंत्रालय बदला जा सकता है.रामचरितमानस विवाद और अब शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव से महाभारत ठनने के चलते ही विभाग बदले जाने की चर्चा है,क्योंकि जेडीयू नेता दोनों ही मुद्दों पर मंत्री से अलग राय रख रहे थे.चंद्रशेखर के मंत्री पद को लेकर दो फॉर्मूले पर चर्चा हो रही है.पहले शिक्षा विभाग आरजेडी के ही किसी अन्य मंत्री से आपसी अदला-बदली किया जा सकता है या फिर शिक्षा विभाग जेडीयू के कोटे में सौंपकर,उन्हें वित्त विभाग का जिम्मा सौंपा जा सकता है.

ऐसे में विजय चौधरी को वापस शिक्षा विभाग मिल सकता है और उनसे वित्त विभाग लेकर आरजेडी कोटे के किसी मंत्री को दिया जा सकता है.इस तरह शिक्षा और वित्त विभाग की अदला-बदली की जा सकती है.जैसा कि पहले था कि जदयू के विजय चौधरी शिक्षा मंत्री थे और राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव और समाजवादी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी वित्त विभाग के मंत्री थे.

कांग्रेस में भी एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है.नीतीश मंत्रिमंडल में कांग्रेस कोटे से किसी एक नेता को मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह लगातार 2 सीटों की मांग कर रहे हैं.बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं,जिनमें से कई नेता मंत्री बनने की जुगत में है.ऐसे में कांग्रेस के अंदर यह माना जा रहा है कि विधायक दल के नेता भूमिहार थे.प्रदेश अध्यक्ष भी भूमिहार.

लिहाजा कांग्रेस विधायक दल का पद भूमिहार समुदाय के अजीत शर्मा से लेकर अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले शकील अहमद खान को दे दिया गया.इसके मद्देनजर मंत्री पद किसी सवर्ण समुदाय के नेता को मिल सकता है.अजीत शर्मा से लेकर समीर सिंह,प्रेमचंद्र मिश्रा तक दावेदार हैं,क्योंकि पिछले साल कांग्रेस कोटे से एक दलित और एक मुस्लिम को मंत्री बनाया गया थ.ऐसे में बिहार के राजनीतिक समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस किसी सवर्ण नेता को मंत्री पद दे सकती है।

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