प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र निर्माण में हो रहे गुणवत्ता की अनदेखी

प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र निर्माण में हो रहे गुणवत्ता की अनदेखी। घटिया क्वालिटी के ईट का हो रहा इस्तेमाल। हाथ लगाते ही टूट रहा ईटा।
प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी : भवन निर्माण विभाग द्वारा सदर प्रखंड मुख्यालय में 5 करोड़ 80 लाख की लागत से हो रहा निर्माण।
दरभंगा सदर। सरकारी भवन के निर्माण में किस कदर घटिया सामग्री का इस्तेमाल होता है इसका जीता जागता उदाहरण सदर प्रखंड मुख्यालय के निर्माणाधीन प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र में देखने को मिल रहा है। भवन निर्माण के दौरान यहां धड़ल्ले से घटिया किस्म के सीमेंटेड ईट का प्रयोग किया जा रहा है। ईट इस कदर घटिया है की हाथ से छुने पर ही व झड़ने लगता है। सीमेन्ट के ईट को तीन चार फीट ऊपर से नीचे गिराने पर उसके टुकड़े हो जा रहे हैं। ईट को देखने से प्रतीत होता है कि इसमें सीमेंट की मात्रा ना के बराबर है।
इसे मिट्टी व काले बालु के सहयोग से बनाया गया है। भवन निर्माण में ठेकेदार द्रारा धड़ल्ले से घटिया किस्म के ईट का प्रयोग किया जा रहा है। जिसे देखने की फुर्सत विभागीय अभियंता को नहीं है। इसके अलावा प्रखंड के अधिकारियों को भी भवन निर्माण में इस्तेमाल हो रहे घटिया सामग्री को देखने से कोई लेना देना नहीं है। भवन के सामने ही घटिया ईट का ढेर रखा हुआ है।
लेकिन प्रखंड स्तरीय अधिकारी भी मामले में अंजान बने हुए हैं। जब ऑख के सामने दिख रहे ईट के गुणवत्ता में ही अनियमितता देखने को मिल रही है। तो भवन निर्माण के दौरान बालू सीमेंट का मिश्रण एवं छड़ का प्रयोग किस स्तर का किया गया होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
वहां भवन निर्माण में घटिया किस्म के ईट का प्रयोग होता देख कबीरचक पंचायत के निर्वाचित पंसस प्रतिनिधि बलदेव राम ने वहां काम करा रहे ठेकेदार के सामने नाराजगी व्यक्त की। श्री राम ने तत्काल इसकी जानकारी दुरभाष से डीएम को दी है। प्रखंड व अंचल कार्यालय के कई कर्मी भी दबी जुबान निर्माण कार्य में घटिया ईट के इस्तेमाल होने के बात स्वीकार करते है। लेकिन वे लोग भी कुछ करने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि भवन निर्माण विभाग द्वारा उक्त भवन का निर्माण लगभग 5 करोड़ 80 लाख की लागत से कराया जा रहा है। निर्माण की शुरुआत अक्टूबर 2020 में हुई थी। 18 माह में काम को पूर्ण कर लेना था। लगभग 14 माह बीतने को है। अभी तक आधा काम भी पूरा नहीं हुआ है। समय सीमा के अंदर भवन निर्माण का कार्य पूरा होने की भी संभावना कम ही दिख रही है।
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