चिंतन की प्रक्रिया अध्ययन व शोध से मजबूत होती है : कुलपति
कुलपति ने सीएम साइंस कॉलेज के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा ‘न्यू फ्रंटियर्स इन केमिकल साइंसेज’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का किया उद्घाटन
समस्या में ही समाधान सन्निहित होते हैं और इसे अवसर में परिणत करने से समस्या सृजन का रूप ले लेती है। यह बात ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को सीएम साइंस कॉलेज के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा ‘न्यू फ्रंटियर्स इन केमिकल साइंसेज’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि चिंतन की प्रक्रिया अध्ययन एवं शोध से मजबूत होती है।
जबकि नए फ्रंटियर्स के तलाश की प्रवृत्ति जीवन को कामयाब बनाती है। उन्होंने कहा कि माहौल जहां सीखने की दिशा बदल देती है वहीं, चुनौती को स्वीकार करने से परिणाम दुर्लभ नहीं होते। अपने संबोधन में कुलपति ने उम्मीद जाहिर की कि यह संगोष्ठी खासकर शोधार्थियों को कई नई चुनौतियों से पार पाने में मददगार साबित होगा और उनके विचारों को वास्तविकता में बदलने के लिए उत्साहित करेगा।
कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नित नए शोध मानव जीवन की हर आवश्यकता को पूरा करने के लिए निहायत ही उपयोगी है और हमें हर परिस्थिति में इस दिशा में हो रहे शोध को और अधिक बेहतर करने की जरूरत है। उन्होंने नवीनतम विषय पर संगोष्ठी आयोजित करने के लिए आयोजन समिति को बधाई देते कहा कि इस तरह के सेमिनार ना सिर्फ छात्रों और शोधार्थियों में विषय के प्रति जागरूकता लाते हैं, बल्कि इससे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में भी स्वस्थ शोध का माहौल कायम होता है। जो शैक्षणिक विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
बीआरबीए विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष सह डीन साइंस प्रो मो. एस. मुमताजुद्दीन ने स्पेक्ट्रोस्कोपी विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए विभिन्न रसायनों की खोज में स्पेक्ट्रोस्कोपी की उपयोगिता पर विस्तार से प्रकाश डाला। इसी विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो बोध नारायण झा ने अपने व्याख्यान में रसायन शास्त्र में हो रहे कुछ नए शोधों पर प्रकाश डाला एवं इसकी उपयोगिता को मानव जीवन के विकास के लिए अत्यंत जरूरी बताया।
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी रसायन शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा लालमोहन झा ने रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नित्य नए हो रहे शोध कार्यों का हवाला देते कहा कि इसी का परिणाम है कि आज भारत न सिर्फ उत्पादन के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
बल्कि जरूरत की सभी चीजों को बनाने के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह रसायन शास्त्र के शोध की ही देन है कि आज भारत दवा एवं केमिकल उत्पादन के क्षेत्र में विश्व स्तर पर सबसे बड़े उत्पादक के रूप में विख्यात है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि रसायन शास्त्र विषय में शोध अब इंटर डिसीप्लिनरी हो गया है। रसायन शास्त्र के साथ अब भौतिकी, जीव विज्ञान एवं अभियांत्रिकी सरीखे विषयों को मिलाकर नए एडवांस मेटेरियल की खोज हो रहे हैं, जो संपूर्ण मानव जाति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इससे पहले संगोष्ठी के संयोजक डा वीडी त्रिपाठी ने प्रस्तावित विषय पर संगोष्ठी के आयोजन के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
विषय विशेषज्ञ के रूप में रसायन शास्त्र के वरिष्ठ शिक्षक डा स्वतंत्रेश्वर झा, डा प्रेमकांत झा, डा केके झा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मौके पर कुलपति ने महाविद्यालय के आंतरिक कोष से परिसर में नवनिर्मित परीक्षा भवन पहुँच पथ का भी उद्घाटन किया।
विभाग की छात्रा आरती एवं सायना नाज के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अंग्रेजी विभाग की शिक्षिका डा आर्यिका पाॅल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के आयोजन में विभाग के डा निधि झा, डा पांशु प्रतीक, डा नेहा शिवहरे, डा गौतम कुमार साह, डा मो फहीमुल हसन, मोहन झा एवं रमेश कुमार कामति के साथ तकनीकी सहयोगी के रूप में डा अजय कुमार ठाकुर, प्रवीण कुमार झा एवं चेतकर झा की उल्लेखनीय सहभागिता रही।
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