CALL NOW 9999807927 & 7737437982
राजनीतिकराष्ट्रीय

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर विदेशी मीडिया में ये बातें कही जा रहीं

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर विदेशी मीडिया में ये बातें कही जा रहीं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ आज शुक्रवार छह जनवरी को हरियाणा में प्रवेश कर चुकी है.

आने वाले दिनों में ये यात्रा हरियाणा से होती हुई पंजाब और फिर आख़िर में जम्मू-कश्मीर पहुँचेगी.

अब से 120 दिन पहले शुरू हुई इस यात्रा के तहत अब तक सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के हुजूम के साथ राहुल गांधी दस राज्यों के 52 ज़िलों से होकर गुज़र चुके हैं. कांग्रेस पार्टी ने ये जानकारी इस यात्रा की वेबसाइट पर जारी की है. पिछले चार महीनों में राहुल गांधी की इस यात्रा की वजह से भारतीय मीडिया में उनकी पार्टी से जुड़ी ख़बरें सुर्खियों में रहीं.

भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की इस पद यात्रा में विदेशी मीडिया ने भी रुचि दिखाई है. आइए जानते हैं कि विदेशी मीडिया में राहुल की यात्रा को कैसे देखा जा रहा है.

जर्मनी के प्रसारक डी डब्ल्यू ने क्या लिखा है?

जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर डी डब्ल्यू (डॉयचे वेले) ने बीते दिसंबर के दूसरे हफ़्ते में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कांग्रेस पार्टी इस यात्रा के ज़रिए महंगाई, बेरोज़गारी और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे उठाकर न सिर्फ़ अपनी खोई राजनीतिक ताक़त फिर से हासिल करना चाहती है, बल्कि वह राहुल गांधी को एक जननेता के रूप में भी स्थापित करना चाहती है.

डी डब्ल्यू लिखता है, ‘एक राजनीतिक पार्टी जिसने अपने 100 साल के लंबे इतिहास में से ज़्यादातर समय भारतीय राजनीति को दिशा दी है, वह अब 2024 के आम चुनाव से पहले किसी तरह ख़ुद में एक नई जान फूंकने के लिए छटपटा रही है.’

एक दौर में भारतीय राजनीति में प्रभुत्व रखने वाली कांग्रेस पार्टी इस समय भारत के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ़ तीन राज्यों में सरकार चला रही है.

ये तीन राज्य छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश हैं, जहाँ कांग्रेस को बहुमत हासिल है. वहीं, तमिलनाडु, बिहार और झारखंड में वह क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सत्ता में है.

इससे पहले भी जब कांग्रेस सत्ता से बाहर रही है, तब भी उसने विपक्ष की भूमिका निभाई थी. लेकिन ये पहला मौक़ा है, जब कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष बनने भर भी सांसद नहीं हैं.

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि कांग्रेस के ढलान को बहुसंख्यकवाद के उभार और पार्टी की अंदरूनी कमियों को ध्यान में रखते हुए देखना चाहिए.

राजनीतिक विश्लेषक ज़ोया हसन ने डी डब्ल्यू से कहा , ‘कांग्रेस इस समय जिस संकट का सामना कर रही है, उसकी वजह पार्टी की ओर से हिंदू राष्ट्रवाद का प्रभावशाली ढंग से सामना करने में विफल रहना है.

यही नहीं, इसके लिए धार्मिक और जातीय ध्रुवीकरण के चलते सिकुड़ते मध्य मार्ग के साथ-साथ व्यक्तिगत और सांगठनिक असफलताएं भी ज़िम्मेदार हैं.’

ज़ोया हसन अपनी हालिया प्रकाशित किताब ‘भारतीय राजनीति में विचारधारा और संगठन’ में पिछले एक दशक में कांग्रेस के पतन को भारतीय राजनीति में आए व्यापक परिवर्तन के साथ जोड़कर देखती हैं.

डी डब्ल्यू के साथ बातचीत में हसन कहती हैं, “हिंदू राष्ट्रवाद ने कांग्रेस पार्टी के भारत को लेकर विविधतावादी विचार के लिए अहम चुनौती पेश की है.”

वह कहती हैं, “रणनीतिक और ज़मीनी सच्चाई के रूप में भी धार्मिकता और राजनीति का मेल कांग्रेस पार्टी को राजनीतिक फ़ायदे की गारंटी नहीं देता. ऐसे में इस पार्टी को ध्रुवीकरण की राजनीति से इतर ऐसा राजनीतिक विकल्प तैयार करना होगा जो जोड़ने वाला हो.”

Previous Post: वृंदावन में Virat Kohli और Anushka Sharma ने आश्रम में टेका मत्था, बेटी वामिका भी रही साथ


For More Updates Visit Our Facebook Page

Also Visit Our Telegram Channel | Follow us on Instagram | Also Visit Our YouTube Channel

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर विदेशी मीडिया में ये बातें कही जा रहीं

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button