RRB ग्रुप डी भर्ती | नई दिल्ली. भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से ग्रुप डी के एक लाख से ज्यादा और एनटीपीसी के 35 हजार से ज्यादा पदों पर भर्तियां की जा रही हैं. लेकिन भर्ती के नियमों में बदलाव के बाद छात्रों के विरोध के चलते भर्ती प्रक्रिया को रोक दी गई है. अभ्यर्थियों के विवादों का निस्तारण किया जा सके, इसको लेकर रेलवे की तरफ से एक कमेटी भी गठित की गई है.
अभ्यर्थियों से प्राप्त शिकायतों के निस्तारण की रिपोर्ट्स बोर्ड द्वारा 4 मार्च को जारी की जाएगी. ऐसे में माना जा रहा है कि रिपोर्ट में बोर्ड उस आदेश को पलट सकता है कि, जिसमें कहा गया था कि आरआरबी ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के लिए दो सीबीटी एग्जाम कराए जाएंगे. हालांकि इस पर स्थिति साफ रिपोर्ट आने के बाद ही होगा.
वहीं, माना यह भी जा रहा है कि भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा एनटीपीसी के सीबीटी रिजल्ट को भी संशोधित किया जा सकता है. यानि कि बोर्ड 12वीं पास और ग्रेजुएशन अभ्यर्थियों की चयन सूची अलग-अलग जारी कर सकता है. इसके अलावा जो ग्रेजुएट पास अभ्यर्थी ग्रेजुएशन स्तर और 12वीं स्तर दोनों की लिस्ट में शामिल हैं, उन्हें एक ही लिस्ट में शामिल किया जा सकता है.
क्या है विरोध की वजह
सबसे पहले जानते हैं कि आरआरबी एनटीपीसी के छात्र क्यों विरोध कर रहे हैं
दरअसल, भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से एनटीपीसी के पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन 2019 में जारी किया गया था. इस भर्ती के जरिए कुल 35000 से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां की जानी हैं. भर्ती के लिए सीबीटी-1 परीक्षा 7 चरणों में आयोजित की गई थी, जिसका रिजल्ट 15 जनवरी को जारी किया गया है. इस भर्ती में कुछ पदों पर आवेदन की योग्यता 12वीं है, जबकि कुछ के लिए ग्रेजुएशन है. ये पद पे-ग्रेड के हिसाब से अलग अलग लेवल में बांटे गए हैं.
इस परीक्षा के ज़रिए लेवल 2 से लेकर लेवल 6 तक की नियुक्तियां होनी हैं. जबकि लेवल 2 की एक पोस्ट जूनियर क्लर्क की है. इसके लिए न्यूनतम योग्यता 12वीं पास की है. वहीं, स्टेशन मास्टर की पोस्ट लेवल 6 की है, जिसके लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन है. बड़ी बात यह है कि ग्रेजुएशन पास अभ्यर्थियों ने लेवल-2 की भर्तियों के लिए भी आवेदन किया है.
यही वजह है कि 12वीं पास छात्रों को लगता है कि उनको नौकरी मिलने की संभावनाएं कम हो जाएगी. वहीं, दूसरी दिक्कत यह है कि जब रेलवे ने नोटिफिकेशन जारी किया था. तब पहले चरण की परीक्षा में कुल रिक्त पदों के 20 गुना छात्रों को पास करने का जिक्र किया गया था. ताकि दूसरे चरण में ज़्यादा से ज़्यादा छात्रों को मौका मिल पाए.
इसके अलावा रिजल्ट में कई अभ्यर्थी ऐसे हैं, जो दोनों ही लेवल की परीक्षाओं के लिए क्वालिफाई किए हैं. इसकी वजह से कई अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट में जगह नहीं मिली है. ऐसे में अभ्यर्थियों की मांग है कि रेलवे द्वारा दोनों लिस्ट में जगह बनाने वाले छात्रों को एक माना जाए, ताकि अधिक से अधिक लोगों को मौका मिल सके. वहीं, छात्रों का यह भी आरोप है कि रेलवे द्वारा जो रिजल्ट जारी किया गया है, वो सिर्फ 10 गुना ही है. इसी बात को लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं.
अब जानिए ग्रुप डी के अभ्यर्थियों की विरोध की वजह
भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की तरफ से ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के लिए भी नोटिफिकेशन 2019 में जारी किया गया था. इस भर्ती के जरिए 1 लाख से ज्यादा पदों पर भर्तियां की जानी हैं. 2019 में जारी नोटिफिकेशन में कहा गया था कि अभ्यर्थियों का चयन लिखित एग्जाम, फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद किया जाएगा. लेकिन परीक्षा से 15-20 दिन पहले भारतीय रेलवे ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि ग्रुप डी के पदों पर भर्तियों के लिए अभ्यर्थियों का चयन सीबीटी-1, सीबीटी-2, फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन के बाद किया जाएगा. ग्रुप डी परीक्षा में दो सीबीटी एग्जाम लागू करने को लेकर अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा मनमाने तरीके से नियमों को बदला जा रहा है, जिससे उनको नुकसान होगा. क्योंकि उन्होंने सीबीटी-1 के हिसाब से ही परीक्षा की तैयारी की है.
SOURCE:ZEENEWS.COM
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