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पटनाबिहार

नीतीश को ‘डुबाने’ पर तुले हैं उनके दोस्त उपेंद्र कुशवाहा? बयानों की कड़वाहट कह रही कहानी

नीतीश को ‘डुबाने’ पर तुले हैं उनके दोस्त उपेंद्र कुशवाहा? बयानों की कड़वाहट कह रही कहानी

बिहार की राजनीति में इस समय कुछ बड़ा होने के संकेत मिल रहे हैं. जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच चल रहे बयानों के तीर तो यही बताते हैं. नीतीश कुमार के बीजेपी में शामिल होने की नसीहत पर उपेंद्र कुशवाहा के जवाब ने बिहार की राजनीति का पारा और गर्म कर दिया है.

कुशवाहा ने नीतीश को जवाब देते हुए कहा कि ऐसे कैसे चले जाएं, अपना हिस्सा छोड़कर? कुशवाहा के इस बयान से लग रहा है कि वो जेडीयू छोड़कर जाने वाले नहीं हैं और उनकी मंशा साथ रहने की भी नहीं दिखती. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वो जेडीयू को पूरी तरह खत्म करने पर तुले हैं? आखिर में परिणाम कुछ भी हो लेकिन वर्तमान में दिख रही खींचतान इस ओर इशारा करती है कि बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है. 

उपेंद्र कुशवाहा को किस बात का है डर?
राष्ट्रीय जनता दल के साथ हुए गठबंधन और फिर सरकार के गठन के बाद से ही नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव की तरफ एकतरफा झुकाव देखने को मिला है. वो हर मंच और रैली से ये कहते और जताते रहे हैं कि वो तेजस्वी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी करेंगे. बीते दिसंबर में हुए कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद भी नीतीश कुमार ने तेजस्वी को महागठबंधन के भविष्य का नेता कहा था. 

दिसंबर महीने में कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन के भविष्य का नेता बताया था. यही नहीं, दिसंबर में हुई विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना है और 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, वो ही हमारे नेता होंगे.

हाल ही में एक घटना और घटी जिससे ये साफ हो गया है कि उपेंद्र कुशवाहा खुद को महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी के बराबर देखना चाहते हैं लेकिन नीतीश ने उनके मंसूबों पर एक बार फिर पानी फेर दिया. खबर उड़ी कि बिहार में तेजस्वी के साथ-साथ एक और डिप्टी सीएम बनाया जाएगा.

तमाम मीडिया में ये खबरें चलने लगीं कि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश सरकार में दूसरे डिप्टी सीएम हो सकते हैं. लेकिन जैसे ही इस मुद्दे पर नीतीश कुमार से सवाल किया गया, उन्होंने एक झटके में इस कयास को खारिज कर दिया. नीतीश ने कहा कि बिहार में दूसरा डिप्टी सीएम बनाने की कोई योजना नहीं है.

नीतीश के हिमायती के रूप में दिखना पड़ा भारी

उपेंद्र कुशवाहा शुरू से कहते रहे हैं कि वो नीतीश कुमार के लिए संकट मोचक बनकर हर प्रहार का सामना करते रहे हैं. नीतीश के सबसे करीब दिखने की चाहत में उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी के नेता सुधाकर सिंह द्वारा नीतीश को लेकर विवादित बयान देने पर उनकी जमकर आलोचना की थी.

नीतीश के बचाव में उपेंद्र कुशवाहा ने सुधाकर सिंह को लेकर काफी कुछ कहा. लेकिन तेजस्वी ने सुधाकर सिंह की भाषा को बीजेपी की भाषा बताकर पूरे विवाद को ही खत्म कर दिया था. यहां भी उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश का साथ नहीं मिला. हाल ही में कर्पूरी ठाकुर की याद में आयोजित कार्यक्रम में भी जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा को दरकिनार कर दिया. इस पर भी उन्होंने नाराजगी जाहिर की.

वर्तमान में खुद को अलग-थलग पाता देख उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी पर निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘डील (आरजेडी और जेडीयू के बीच) का खुलासा होना चाहिए. उपेंद्र कुशवाहा पर टिप्पणी करने के बजाय क्या डील हुआ है ये बताना चाहिए. मेरे खिलाफ साजिश चल रही है, लेकिन ये मेरे खिलाफ नहीं बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ साजिश है.’

उन्होंने कहा, ‘उपेंद्र कुशवाहा को दरकिनार करने का मतलब नीतीश कुमार को कमजोर करना है, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहा है. उनके ऊपर होने वाले प्रहार को झेलने के लिए वो नीतीश कुमार से आगे खड़ा रहा है. कुछ लोगों को ये बात ठीक नहीं लगती है. लोग चाहते हैं कि नीतीश कुमार पर जब प्रहार हो तो बीच में कोई न आए और वो झेलते रहें. ये साजिश नीतीश कुमार को और कमजोर करने के लिए है.’

नीतीश ने नहीं दिया भाव

उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें (उपेंद्र कुशवाहा) जो कहना है कहने दीजिए. वो आजाद हैं कुछ भी कहने के लिए. पार्टी का कोई भी नेता उन पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा. इस बीच उपेंद्र कुशवाहा ने ये भी कहा कि जेडीयू के कुछ नेता बीजेपी के संपर्क में हैं.

इस पर नीतीश कुमार ने मोर्चा संभाला और दो टुक जवाब देते हुए कहा कि जो खुद दूसरों के संपर्क में हैं वो पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं. नीतीश कुमार ने कहा, ‘उन्हें कम से कम एक नेता का नाम लेना चाहिए जो (भाजपा के साथ) संपर्क में है. जो खुद संपर्क करना चाहते हैं, वे इस तरह के आरोप लगा रहे हैं.’

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नीतीश ने कहा कि उन्हें जब और जहां जाना हो चले जाएं. साथ ही उन्होंने पार्टी के कमजोर होने वाली बात पर कहा कि पार्टी पहले ज्यादा मजबूत हुई है और पार्टी के सदस्यों की संख्या लाखों में बढ़ी है. नीतीश के जाने वाली बात उपेंद्र कुशवाहा को चुभ गई. इस पर जवाब देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि वो हिस्सा लिए बगैर कहीं जाने वाले नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘बड़ा अच्छा कहा भाई साहब आपने…! ऐसे बड़े भाई के कहने से छोटा भाई घर छोड़कर जाने लगा तब तो हर बड़ा भाई अपने छोटे भाई को घर से भगाकर बाप-दादा की पूरी संपत्ति अकेले हड़प लेगा. ऐसे कैसे चले जाएं अपना हिस्सा छोड़कर?’

उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर अब नीतीश कुमार ने कहा है कि इन बातों का कोई मतलब नहीं है. पार्टी के नेता की कोई बात है तो उसे पार्टी के अंदर ही करनी चाहिए. जो पार्टी में रहते हैं वो बाहर जाकर नहीं बोलते. वो पार्टी में रहें तो भी अच्छा और जाएं तो भी अच्छा. 

बयानबाजी के दौर में उपेंद्र कुशवाहा के मूड को देखकर ऐसा लगता है कि वो अपने हक की लड़ाई के नाम पर जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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