US China Taiwan: अमेरिका के लिए यूक्रेन नहीं है ताइवान, चीन के खिलाफ दोस्त ढूंढ़ने में बाइडन को छूटेंगे पसीने, समझें समीकरण
Nancy Pelosi Taiwan visit: ताइवान की यात्रा खत्म करके अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी लौट गई हैं। इस दौरे के बाद पूरे दक्षिण चीन सागर में जंग के बाद मंडराने लगे हैं। अमेरिका और चीन के दर्जनों युद्धपोत और फाइटर जेट आमने-सामने हैं। ऐसे में अब यह डर सताने लगा है कि क्या ताइवान भी यूक्रेन की राह पर बढ़ रहा है।
वॉशिंगटन/ताइपे: साउथ चाइना सी में बसे ताइवान को लेकर दुनिया की दो सुपरपावर चीन और अमेरिका के बीच जंग जैसे हालात हैं। अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन भड़क उठा है। चीन ने बड़े पैमाने पर अपने जंगी जहाज और फाइटर जेट को ताइवान की घेरेबंदी के लिए तैनात कर दिया है।
चीन का इरादा ताइवान को बाकी दुनिया से काट देने और पूरे इलाके में नो फ्लाई जोन बनाने का लग रहा है। ताइवान को अगर चीन ब्लॉक करता है या भविष्य में हमला करता है तो अमेरिका को उसकी मदद के लिए आना होगा। नैंसी पेलोसी ने भी कहा है कि अमेरिका हर मुश्किल में ताइवान के साथ खड़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका भले ही ताइवान के साथ खड़े होने का वादा कर रहा है लेकिन उसे यूक्रेन की तरह दुनिया के अन्य देशों का साथ नहीं मिलने जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान और यूक्रेन का मुद्दा पूरी तरह से अलग है। रूस ने यूक्रेन देश पर हमला किया था और यही वजह है कि नाटो समेत समेत दुनिया के कई देशों ने कीव की मदद की लेकिन ताइवान की सूरत में ऐसा नहीं है। ताइवान को अभी केवल गिनती के ही देश मान्यता देते हैं और ज्यादातर देश उसे चीन का हिस्सा मानते हैं।
इसके अलावा चीन और नाटो के कई देशों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। चीन और तुर्की के बीच सामरिक और आर्थिक रूप से बहुत घनिष्ठ संबंध हैं। तुर्की रूस के साथ जंग में यूक्रेन को घातक टीबी 2 ड्रोन मुहैया करा रहा है लेकिन ताइवान को वह हथियार देगा, इस पर कहना बहुत ही मुश्किल है। ताइवान को अभी सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका से मिल रहे हैं। यू्क्रेन की जंग के कारण अमेरिका के खुद के रणनीतिक भंडार हथियारों से खाली हो चुके हैं।
ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ ऑकस सैन्य समझौता किया
अमेरिका को चीन के खिलाफ जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और ब्रिटेन से मदद मिलने की सबसे ज्यादा उम्मीद है। अमेरिका ने चीन पर नकेल कसने के लिए ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ ऑकस सैन्य समझौता किया है। जापान ने भी चीन के ताइवान के चारों ओर किए जाने वाले सैन्य अभ्यास पर चिंता जताई है।
दक्षिण चीन सागर में चीन दो ऐसी जगहों से अभ्यास कर रहा है जिस पर जापान अपना दावा करता है। वहीं दक्षिण कोरिया ने भी इस पूरे विवाद को शांति से निपटाने के लिए कहा है। आसियान देश भी चीन के साथ अरबों डॉलर के व्यापार को देखते हुए शायद ही खुलकर चीन के खिलाफ आएं।
हालांकि इनमें से कई देशों जैसे फिलीपीन्स, वियतनाम आदि के साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और अमेरिका के बीच ताइवान को लेकर अगर संघर्ष हुआ तो कई देश इसलिए भी साथ नहीं देंगे कि चीन उन्हें अपना सामान देना बंद कर देगा या उससे लेना बंद कर देगा।
Source : navbharattimes.indiatimes.com
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